रजनीश यादव/ प्रयागराज : संगम नगरी प्रयागराज में 15 जनवरी से माघ मेले की शुरुआत हो रही है. माघ मेले में साधु, संत, गृहस्थ जीवन वाले कल्पवास कर धार्मिक कार्य करते हैं. कल्पवास से साधक को मन और इंद्रियों पर नियंत्रण करने की शक्ति प्राप्त होती है. वहीं संगम पर स्नान से आरोग्य प्राप्त होता है. माघ मेला में पहला स्नान मकर संक्रांति 15 जनवरी 2024 को किया जाएगा. जबकि तीसरा स्नान मौनी अमावस्या के दिन होगा.
हिंदू धर्म में मौनी अमावस्या का खास महत्व है. हिंदू पंचांग के अनुसार, माघ मास के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली अमावस्या को मौनी अमावस्या या माघ अमावस्या कहा जाता है. इस दिन गंगा, यमुना या अन्य पवित्र नदियों, जलाशय अथवा कुंड में स्नान करना चाहिए. आइये जानते हैं साल 2024 में माघ अमावस्या कब है.इस दिन दान-पुण्य का विशेष महत्व है
मौनी अमावस्या फरवरी 9 को सुबह 08:02 बजे से 10 फरवरी को सुबह 04:28 बजे तक है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, मौनी अमावस्या के दिन मनु ऋषि का जन्म हुआ था. मनु शब्द से ही मौनी की उत्पत्ति हुई थी इसलिए कहा जाता है कि इस दिन मौन व्रत करने से मुनि पद की प्राप्ति होती है. इस तिथि पर मौन धारण कर मुनियों के समान आचरण करते हुए स्नान करना चाहिए. यही कारण है कि माघ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि मौनी अमावस्या कहलाती है.
मौनी अमावस्या का महत्त्व
सभी अमावस्या तिथियों में मौनी अमावस्या को सर्वश्रेष्ठ माना जाता है. शास्त्रों में मौनी अमावस्या के दिन प्रयागराज के संगम में स्नान का विशेष महत्व बताया गया है. इस दिन यहां देव और पितरों का संगम होता है. शास्त्रों के मुताबिक, माघ मास में देवता प्रयागराज आकर अदृश्य रूप से संगम में स्नान करते हैं. इस दिन पितर पितृलोक से संगम में स्नान करने आते हैं. इस तरह देवता और पितरों का इस दिन संगम होता है.
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FIRST PUBLISHED : December 31, 2023, 18:40 IST