औषधीय गुणों से भरपूर होता है अश्वगंधा, इन बीमारियों के लिए रामबाण इलाज, जानें फायदे

दीपक पाण्डेय/खरगोन :मध्यप्रदेश के खरगोन जिले के शासकीय स्नाकोत्तर महाविद्यालय (पीजी कॉलेज) द्वारा बॉटनीकल गार्डन डेवलप किया गया है. इस गार्डन से यहां पढ़ने वाले बॉटनीकल छात्र – छात्राओं को फायदा मिलेगा. किताबी ज्ञान के साथ – साथ इस गार्डन में लगे पौधों पर प्रेक्टिकल भी कर सकेंगे. गार्डन में अश्वगंधा सहित कई तरह के जड़ी बूटी के पौधे लगें है जो मानव शरीर के लिए बहुत ही फायदेमंद है. इनका उपयोग करने से बहुत से बीमारियों से भी निजात मिलती है.

कॉलेज के वनस्पति उद्यान प्रभारी डॉ. सीएल निंगवाल बताते है की औषधीय पौधे और जड़ी बूटियों जैसे – हल्दी, अदरक, तुलसी के पत्ते, पुदीना और दालचीनी आमतौर पर भारतीय व्यंजनों में उपयोग किए जाते हैं और वे कई स्वास्थ्य लाभ प्रदान करते हैं. इनसे कोल्ड और फ्लू, तनाव से राहत, बेहतर पाचन को बेहतर करते है.

अश्वगंधा के फायदे –
इसके अलावा अश्वगंधा सूजनरोधी और रोग से लड़ने वाली कोशिकाओं के उत्पादन को प्रोत्साहित करके शरीर की प्रतिरक्षा को बढ़ाने में मदद करता है. यह आयरन का भी समृद्ध स्रोत है, इसलिए लाल रक्त कोशिका की संख्या में सुधार करता है. गठिया के दर्द को भी कम करने में अश्वगंधा काफी गुणकारी साबित होता है.

1500 से ज्यादा पौधे –
बता दे की गार्डन में औषधीय प्रजाति, संकटग्रस्त प्रजाति, सामाजिक एवं आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण 150 प्रजाति के 1500 से ज्यादा पौधे लगाए गए है. इनमें करीब 2 एकड़ में नौ ग्रहों, 12 राशियों, 27 नक्षत्र, सप्तऋषियों सहित जड़ी बूटियों के पौधे भी शामिल है. ग्रहों से संबंधित पौधों में सूर्य-सफेद आकड़ा चन्द्र-पलाश, मंगल-खैर, बुध-अपामार्ग, गुरु-पारसपीपल, शुक्र-गूलर, शनि-शमी, राहु-शीशम, केतु-कुश का रोपण किया गया.

राशियों के पौधे –
राशियों से सम्बंधित पौधो में मेष-आंवला, मिथुन-खैर, सिंह-बरगद, तुला-बेल, धनु-मदार, कुम्भ-शमी, वृषभ-गूलर, कर्क-पीपल, कन्या-रीठा, वृश्चिक-चीड़, मकर-कटहल, मीन-आम के पौधे रोपे गए.

नक्षत्र पौधे
नक्षत्र सम्बंधित पौधों में अश्विनी-कुचिला, भरणी-आंवला, कृतिका-गूलर, रोहिणी-जामुन, मृगशिरा-खैर, आद्रा-शीशम, पुनर्वसु-बांस, पुष्य-पीपल, आश्लेषा-नाग केसर, मघा-वटवृक्ष, पूर्वाफाल्गुनी-पलाश, उत्तराफाल्गुनी-पाकड़, हस्त-रीठा, चित्रा-बेलपत्र, स्वाति-अर्जुन, विशाखा-कण्टाई, अनुराधा-मौलश्री, ज्येष्ठा-चीड़, मूल-साल, पूर्वाषाढ़-जलवेतस, उत्तराषाढ़-कटहल, श्रवण-आक, धनिष्ठा-शमी, शतभिषा-कदम, पूर्वभाद्रपद-आम, उत्तराभाद्रपद-नीम, रेवती-महुआ का रोपण किया गया.

सप्तऋषियों के पौधे –
सप्तऋषियों से सम्बंधित पौधो में कश्यप-तुलसी, अत्रि-अगस्ता, भारद्वाज-चीड़चीड़ा, जमदग्नि-दुब, विश्वामित्र-बेलपत्र, वशिष्ठ-शमी, गौतम-धतूरा का रोपण किया गया तथा पंचवटी के लिए पीपल, बेल, वट, धातृ (आंवला) व अशोक का रोपण किया गया.

Tags: Health News, Hindi news, Local18, Mp news

Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *