अनुज गौतम/सागर. शादियों में वरमाला को यादगार बनाने के लिए इलेक्ट्रॉनिक आतिशबाजी के बाद अब नया ट्रेंड आया है. इसमें वरमाला के पहले वर-वधु भगवान गणेश और शिव-पार्वती का पूजन करते हैं. इसके बाद 11 वेदपाठी ब्राह्मणों द्वारा गणेश वंदना, धूप आरती, शंखनाद के बाद भगवान शिव की महाआरती की जाती है. इसके लिए भगवान महाकाल की अष्टधातु की प्रतिमा विवाह स्थल पर सजाई जा रही है.
इस प्रतिमा का पहले उसका वर-वधु द्वारा पूजन किया जाता है. इसके बाद वे स्टेज पर जाते हैं. फिर आकर्षक साउंड सिस्टम के साथ बनारस की तर्ज पर भगवान शिव की आरती शुरू होती है. सभी मेहमान खड़े होकर हाथ जोड़कर भगवान महादेव की आरती गाते हैं. शादी का पूरा वातावरण भक्तिमय हो जाता है. सागर में हो रही अधिकतर शादियों में ऐसा माहौल देखने को मिल रहा है.
गणेश वंदना-आरती के बाद वरमाला, सात फेरे
सनातन धर्म में शुरू से चली आ रही विवाह की रस्मों और परंपराओं में समय के साथ कई बदलाव हुए हैं. हालांकि, कुछ चीजें खत्म भी हो गईं. लेकिन कुछ चीजें नई शुरू हुई हैं. इस नए ट्रेंड की तारीफ भी लोग खूब कर रहे हैं. वरमाला के पहले होने वाले पूजन से शादी का माहौल भी पवित्र हो जा रहा है. पूजा पाठ की यह रस्म द्वारचार के बाद की जाती है. जब दूल्हा और दुल्हन को स्टेज पर वरमाला के लिए जाना होता है, तभी वेदपाठी ब्राह्मणों द्वारा इस पूजन विधि को संपन्न कराया जाता है. फिर महाआरती होती है, जिसमें सभी मेहमान सम्मिलित होते हैं.
कई शादियों के लिए बुकिंग
पं. शिवनारायण शास्त्री व विवेक गौतम ने बताया कि यह महाआरती हम लोगों ने बनारस, हरिद्वार, ऋषिकेश में बाबा विश्वनाथ और मां गंगा की आरती के दौरान देखी. 16 संस्कारों में सबसे महत्वपूर्ण संस्कार विवाह माना जाता है. मेरी टीम ने सनातन धर्म को युवा पीढ़ी में बढ़ाने लिए महाआरती के इस ट्रेंड को शुरू किया. सागर में देव प्रबोधिनी एकादशी के बाद यजमान विनीत नेपाली ने अपने छोटे भाई की शादी में आरती का निमंत्रण दिया और शहर में इस महाआरती का श्रीगणेश हुआ. आगामी शादी सीजन में 5 से 6 विवाहों में महाआरती की बुकिंग हो चुकी है.
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FIRST PUBLISHED : December 12, 2023, 19:09 IST