इतिहास की परतें कुरेदने वाले डॉ यशवंत सिंह कठोच को मिला पद्मश्री, जानें उनके बारे में

कमल पिमोली/ श्रीनगर गढ़वाल. उत्तराखंड के प्रसिद्व इतिहासकार यशवंत सिंह कठोच को पद्मश्री (Padma Shri 2024) सम्मान से सम्मानित करने के लिए चुना गया है. गणतंत्र दिवस के अवसर पर उन्हें उत्तराखंड के इतिहास और साहित्य संकलन के क्षेत्र में बेहतरीन कार्य करने के लिए इस सम्मान से सम्मानित किया गया है. डॉ यशवंत सिंह कठोच (Yashwant Singh Kathoch) इतिहास के विशेषज्ञ व जानकार हैं. उत्तराखंड के इतिहास को लेकर उन्होंने काफी कार्य किया और वह इसे किताबों के माध्यम से दुनिया के सामने लाए. आज भी राज्य स्तरीय प्रतियोगी परीक्षाओं में उनके द्वारा लिखित किताबों को संदर्भित करते हुए प्रश्न बनाए जाते हैं. डॉ कठोच को बतौर इतिहास विशेषज्ञ समय-समय पर लोक सेवा आयोग में भी बुलाया जाता है.

उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल के रहने वाले डॉ यशवंत सिंह कठोच पेशे से शिक्षक थे, लेकिन सेवानिवृत्त होने के बाद उन्होंने अपना पूरा समय पुस्तक लेखन और उत्तराखंड से जुड़े इतिहास को खोजने में बिता दिया. उनका जन्म पौड़ी जिले के चौन्दकोट पट्टी के मासौं गांव में 27 दिसंबर 1935 को हुआ था. बचपन से ही पढ़ाई में होशियार कठोच ने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा प्राप्त करने के के बाद आगरा विश्वविद्यालय से राजनीति शास्त्र में एमए की डिग्री हासिल की. उन्होंने वहीं से प्राचीन इतिहास एवं पुरातत्व विषय से भी एमए व डी.फिल किया.


राजनीति शास्त्र के शिक्षक लेकिन इतिहास से प्यार

डॉ यशवंत सिंह कठोच ने बतौर शिक्षक अपनी सेवाएं दीं. वह टिहरी गढ़वाल के प्रतिष्ठित प्रताप इंटर कॉलेज में राजनीति शास्त्र के प्रवक्ता भी रहे. वहीं डॉ कठोच ने कई इंटर कॉलेजों में बतौर प्रधानाचार्य कार्य किया. अपने कार्यकाल के दौरान भी वह निरंतर लिखते रहते थे. राजनीति शास्त्र के शिक्षक होने के बाद भी उनकी रुचि इतिहास और पुरातत्व में थी. रिटायर होने के बाद उन्होंने अपनी रुचि को जारी रखा और लगातार लेखन कार्य में जुटे रहे. उन्होंने इतिहास और पुरातत्व पर नवीनतम रिसर्च कर तथ्यों की प्रामाणिकता आदि पर विद्यार्थियों, शोधार्थियों व प्रोफेसरों के लिए किताबें लिखीं, जिनका प्रयोग आज भी छात्र और रिसर्चर करते हैं.

उत्तराखंड के इतिहास पर कर चुके कार्य

89 साल के डॉ यशवंत सिंह कठोच अब तक 10 से अधिक किताबें लिखने के साथ 50 से अधिक शोध पत्रों का वाचन कर चुके हैं. मध्य हिमालय का पुरातत्व, उत्तराखंड की सैन्य परम्परा, संस्कृति के पद चिन्ह, मध्य हिमालय ग्रंथ माला समेत कई महत्वपूर्ण किताबें वह लिख चुके हैं, लेकिन उनकी पुस्तक ‘उत्तराखंड का नवीन इतिहास’ ने उन्हें एक अलग पहचान दी. इस पुस्तक में डॉ कठोच ने वह सब शोध कर लिखा जो एटकिंसन के हिमालयन गजेटियर में लिखना छूट गया था. इस पुस्तक में उत्तराखंड के इतिहास की बारीकी से जानकारी है.

इतिहास को खोजने के बाद किताब में करते हैं दर्ज

डॉ कठोच की लिखने की शैली को लेकर एक किस्सा काफी प्रचलित है. दरअसल कठोच कण्वाश्रम पर एक लेख लिख रहे थे. यह लेख उन्होनें तकरीबन 20 साल पहले लिखा लेकिन इस लेख को लिखने के बाद भी उन्हें वह अनूभति नहीं हुई, तो वह स्वयं कण्वाश्रम के जंगल में गए. यहां पुरातत्व व अवशेषों को लेकर खुद शोध किया और तस्दीक की.

किन लोगों को मिलता है ये सम्मान?

पद्म पुरस्कार कला, साहित्य, शिक्षा, खेल, चिकित्सा, विज्ञान, लोक कार्य, समाज सेवा, इंजीनियरिंग, सिविल सेवा, व्यापार, उद्योग समेत अलग-अलग क्षेत्रों में असाधारण उपलब्धि या सेवाओं के लिए दिए जाते हैं.

तीन श्रेणियों में दिए जाते हैं पुरस्कार

1. पद्म विभूषण- असाधारण और विशिष्ट सेवा के लिए.

2. पद्म भूषण- उच्च कोटि की विशिष्ट सेवा के लिए.

3. पद्म श्री- विशिष्ट सेवा के लिए.

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