अमेरिका हो या दुबई, बिहार के ‘लाल फल’ की दीवानी है दुनिया, सिर्फ गर्मी में….

ऋतु राज/मुजफ्फरपुर: मुजफ्फरपुर की शाही लीची की पहचान अब विदेश में भी बढ़ने लगी है. यही कारण है कि इस बार दक्षिण अफ्रीका और नीदरलैंड के लोग भी मुजफ्फरपुर की लीची का स्वाद
चखने के लिए लालायित हैं. इसके लिए निदरलैंड की फ्रेंचाइजी कम्पनी ने तैयारी शुरू कर दी है. यहां के किसानों से 250 टन लीची की डिमांड की गई है. इसके लिए बंदरा के लीची बागान का चयन किया गया है. कंपनी के प्रतिनिधि मई के दूसरे सप्ताह में यहां पहुंचेंगे. लीची तोड़ने से पहले बाग की कूलिंग की जाएगी. इसके बाद लीची का तुड़ाव होगा. कंपनी के प्रतिनिधि कूलिंग उपकरण और 300 एसी वैन के साथ मुजफ्फरपुर पहुंचेंगे. बताया जा रहा है कि कंपनी ने पिछले साल यहां की लीची का सैंपल लिया था. जिसे विदेशों में काफी पसंद किया गया था.

लुलु मॉल वाले भी संपर्क में
लीची उत्पादक संघ के प्रदेश अध्यक्ष बच्चा प्रसाद सिंह बताते हैं कि पिछले साल का प्रयोग सफल होने के बाद इस बार कई कंपनियों ने लीची की डिमांड बढ़ा दी है. यह अलग बात है कि अभी विदेशों से तय प्रोटोकॉल के अनुसार किसान उतनी मात्रा में लीची आपूर्ति में सक्षम नहीं हो पा रहे हैं. उन्होंने बताया कि पिछले साल लुलु मॉल ने लीची की खरीद की थी. इसके बाद विदेशों में सप्लाई करने के लिए मुजफ्फरपुर की शाही लीची की डिमांड बढ़ गई है. वे बताते हैं कि अब कई कंपनियां यहां की शाही लीची को दूसरे देशों में निर्यात करने पहुंचने वाले हैं. लीची जब तैयार होने लगेगा, तो कंपनी के प्रतिनिधि यहां 20-22 दिन रह कर रोज एसी वैन से दिल्ली ले जाएंगे. वहां से हवाई मार्ग से दूसरे देश भेजी जाएगी.

अरब देशों को दी जा रही प्राथमिकता
लीची अनुसंधान केंद्र के निदेशक विकास दास का कहना है कि मुजफ्फरपुर की शाही लीची सिर्फ देश ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी फेमस है. हालांकि, तकनीकी कारणों से अभी डिमांड के अनुरूप विदेशों में लीची की सप्लाई नहीं हो पाती है. पिछले साल देशभर से मात्र दो करोड़ रुपए का ही लीची विदेश भेजा गया था. यूरोपीयन और अमेरिकन कंट्रीज में ज्यादा लीची नहीं जा पाया है. अभी ज्यादा फोकस गल्फ कंट्रीज को लेकर है. इस बार के लिए भी वहां का प्रोटोकॉल आ चुका है. अब हमलोग उस प्रोटोकॉल के अनुसार लीची उत्पादन पर काम कर रहे हैं.

Tags: Local18, Muzaffarpur news

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