पूर्व आईपीएस अशोक राघव की इस जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वो इस संबंध में एक एक्सपर्ट कमेटी का गठन करना चाहता है.
केंद्रीय वन पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के हलफनामे के मुताबिक जीबी पंत इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन इन्वायरनमेंट के निदेशक की अध्यक्षता में 13 विशेषज्ञों की कमेटी बनाई जा सकती है. इन 13 सदस्यों में इन संस्थानों के निदेशक या उनके नामजद को कमेटी में रखा जाए.
इनके अलावा राज्य डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी के अफसर, जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया, सर्वे ऑफ इंडिया, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और केंद्रीय भूजल आयोग के सदस्य सचिव उच्चाधिकार प्राप्त समिति के सदस्य हों. ये समिति समयबद्ध आधार पर अध्ययन कर अपनी रिपोर्ट देती रहेगी.
हलफनामे में कहा गया है कि सभी 13 राज्य अपने यहां पहले से जारी गाइडलाइन के अनुपालन पर उठाए जा रहे कदमों और एक्शन मैप तैयार करने के लिए मुख्य सचिव की अगुआई में कमेटी बनाई जाए. समयबद्ध तरीके से ये कमेटी विविध ढंग से अध्ययन कर उनसे मिले नतीजों पर आगे बढ़े.
कोर्ट ने भारतीय हिमालयी क्षेत्र में स्थित सभी 13 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में पारिस्थितिक रूप से नाजुक क्षेत्रों, हिल स्टेशनों, उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों, बड़े टूरिस्ट क्षेत्रों और पर्यटन स्थलों की वहन क्षमता का पता लगाने के लिए एक विशेषज्ञ पैनल बनाने का संकेत दिया था.
याचिकाकर्ता व केंद्र को सुनवाई की अगली तारीख 28 सितंबर को सुझावों के साथ वापस आने का निर्देश दिया गया कि पैनल में कौन-कौन विशेषज्ञ हो सकते हैं और संदर्भ की शर्तें क्या हो सकती हैं.
ये मुद्दा पूर्व आईपीएस अधिकारी अशोक कुमार राघव ने उठाया था, जिन्होंने पहाड़ी क्षेत्रों और उसके आसपास अनियोजित बुनियादी ढांचे के विकास की शिकायत की थी.
ये कहते हुए कि जनहित याचिका ने ‘गंभीर चिंता का एक बहुत ही महत्वपूर्ण मुद्दा’ उठाया है. सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने राघव के वकील आकाश वशिष्ठ से कहा कि वह सभी पारिस्थितिक रूप से नाजुक क्षेत्रों, हिल स्टेशनों की वहन क्षमता का पता लगाने के लिए विशेषज्ञों की एक समिति बनाने का इरादा रखती है.
भारतीय हिमालय क्षेत्र में स्थित सभी 13 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में ऊंचाई वाले क्षेत्र, अत्यधिक भ्रमण वाले क्षेत्र और पर्यटन स्थल हैं. याचिकाकर्ता व सरकार को सुनवाई की अगली तारीख 28 सितंबर को सुझाव के साथ वापस आने का निर्देश दिया गया है कि पैनल में कौन-कौन विशेषज्ञ हो सकते हैं और संदर्भ की शर्तें क्या हो सकती हैं.