हिंद महासागर में चीन को जवाब-मॉरीशस में मिलिट्री बेस तैयार: सागर प्रोजेक्ट में 3KM लंबा रनवे बनाया, यहां सर्विलांस प्लेन लैंड कर सकेगा

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नई दिल्ली20 मिनट पहले

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रविंद जगन्नाथ 29 फरवरी को मॉरीशस के अगालेगा द्वीप पर नई हवाई पट्टी और एक जेट्टी का उद्घाटन किया। - Dainik Bhaskar

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रविंद जगन्नाथ 29 फरवरी को मॉरीशस के अगालेगा द्वीप पर नई हवाई पट्टी और एक जेट्टी का उद्घाटन किया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मॉरीशस के पीएम प्रविंद कुमार जगन्नाथ ने मॉरीशस के अगालेगा द्वीप में 3 किमी के रनवे और सेंट जेम्स जेट्टी सहित 6 प्रोजेक्ट का उद्घाटन किया।

मुंबई से 3,729 किमी दूर मॉरीशस के उत्तरी अगालेगा द्वीप पर मिलिट्री बेस के लिए आवश्यक इंफ्रास्ट्रक्चर बनाया गया है, इसमें रनवे, जेट्टी, विमान के लिए हैंगर शामिल है।

यहां से भारत-मॉरीशस मिलकर पश्चिमी हिंद महासागर में चीन के सैन्य जहाजों और पनडुब्बियों की निगरानी रख सकेंगे।

क्या है भारत का सागर प्रोजेक्ट
भारत को घेरने और हिंद महासागर में अपना दबदबा बढ़ाने के लिए चीन ने पाकिस्तान के ग्वादर, श्रीलंका के हंबनटोटा से लेकर अफ्रीकी देशों में कई पोर्ट प्रोजेक्ट में पैसा लगाया है। इसके जवाब में भारत सरकार ने 2015 में हिंद महासागर में अपनी मौजूदगी बढ़ाने के लिए सिक्योरिटी एंड ग्रोथ फॉर आल इन द रिजन (सागर प्रोजेक्ट) शुरू किया था।

चिंता: पश्चिमी हिंद महासागर में चीन लगातार अपनी ताकत बढ़ा रहा है
हिंद महासागर में चीन की चालबाजी बढ़ती जा रही है। चीन ने बीआरआई प्रोजेक्ट के नाम पर कई अफ्रीकी देशों के बंदरगाहों पर कब्जा जमाया है। चीन ने जिबूती का डोकालेह, कैन्या के लामू और मोंबासा, तंजानिया के टेंगा और डेर अस सलाम, मोजाम्बिक का बैरा, दक्षिण अफ्रीका के रिचर्ड बे पोर्ट के अलावा मेडागास्कर के सेंट मैरी पोर्ट को लीज पर लिया है। जानकारों का कहना है कि चीन कभी भी इन पोर्ट का सैन्य इस्तेमाल कर सकता है।

तैयारी: चीनी कार्गो शिप, युद्धपोतों और पनडुब्बियों पर नजर रख सकेगा भारत
ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी के थिंक टैंक सैमुअल बेशफील्ड का कहना है कि अगालेगा सबसे महत्वपूर्ण शिपिंग लाइन पर स्थित है। इसलिए यहां से गुजरने वाले चीन के कार्गों, सैन्य जहाजों और पनडुब्बियों पर नजर रखी जा सकेगी। हिंद महासागर की सुरक्षा में तैनात भारतीय नौसेना के जहाजों को अभी ईंधन लेने के लिए ब्रिटिश-अमेरिकी मिलिट्री बेस डिएगो गार्शिया जाना पड़ता है। इस बेस के बाद हमारी सेना का समय बचेगा।

मुंबई से 3,729 किमी दूर मॉरीशस के उत्तरी अगालेगा द्वीप पर मिलिट्री बेस के लिए आवश्यक इंफ्रास्ट्रक्चर बनाया गया है।

मुंबई से 3,729 किमी दूर मॉरीशस के उत्तरी अगालेगा द्वीप पर मिलिट्री बेस के लिए आवश्यक इंफ्रास्ट्रक्चर बनाया गया है।

अफ्रीकी देशों में चीनी बंदरगाहों के मुकाबले के लिए बड़ी सफलता

  • उत्तरी अगालेगा द्वीप 12 किमी लंबा है और 1.5 किमी चौड़ा है। यहां करीब 300 लोग रहते हैं।
  • भारत की मदद से 3 किमी लंबा रनवे तैयार किया गया है। हैंगर 180 फीट लंबा और 200 फीट चौड़ा है।
  • पनडुब्बियों की निगरानी करने वाले भारतीय नौसेना के लिए पी-8आई विमान को तैनात किया जाएगा।
  • अगालेगा द्वीप स्थित इस बेस के संचालन के लिए भारतीय नौसना के 50 जवानों को तैनात किया जाएगा।

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