मो.महमूद आलम/नालंदा: नालंदा के किसान मछली के साथ हंस का भी पालन करते हैं. जो न सिर्फ मछलियों के लिए फायदेमंद साबित हो रहा है बल्कि इससे भी आय का श्रोत बढ़ रहा है. नालंदा के मत्स्यजीवी किसान शिवनंदन प्रसाद बीते 12 सालों से हंस पाल रहे हैं. जिससे मछलीपालन का कारोबार कर रहे किसान को मत्स्य के साथ हंस रखने के फ़ायदे भी बताते हैं और इन्होंने अब तक ढाई सौ से अधिक हंस के जोड़े बेच चुके हैं. जिसमें एक हंस के जोड़े की क़ीमत 2500 से 3000 रुपए होता है.
मछली बढ़ाने के लिए हंस पालना चाहिए
यह हंस मछली के पानी को साफ़ रखता है. घास के अलावा सीड्स खाता है. हंस एक साल में 10 पीस अंडा देता है. जिसे बैठने के 21 दिन में चूज़ा होता है. इसके लिए 4 से 5 लोगों को रोज़गार भी मिल रहा है. उनका जीविकोपार्जन चलता है. हंस पालक शिवनंदन प्रसाद बताते हैं कि हंस की कई प्रजातियां हैं लेकिन वे एक प्रजाति के हंस पालते हैं. जो किसान मछली पालन करते हैं, उन्हें मछली बढ़ाने के लिए हंस पालना चाहिए. हंस पालने से एरिएशन का काम करता है. ज़्यादा हंस पालते हैं इसलिए मछलीपालक किसान यहां भी खरीदने के लिए आते हैं अगर दूसरे लोग भी इसे पालेंगे तो उन्हें भी कम खर्च में ज़्यादा मुनाफा होगा. हर साल यह 12 से 15 जोड़ा हंस बेचते हैं. हंस के पालने से मछली वाले तालाब में मछली का भोजन भी तैयार करता है. अभी भी 7 हंस है.
मछली का उत्पाद बढ़ाने एवं उसके फायदे को हैं बताते
उन्होंने आगे यह भी बताया कि वे बड़े पैमाने पर मछली का कारोबार करते हैं. हैचरी का काम करते हैं. जिसमें विभिन्न प्रकार के खाने वाली मछलियों का पालन करते हैं. यही नहीं इनके यहां सूबे के हर ज़िले के मछली फार्मिंग के किसान प्रशिक्षण के लिए पहुंचते हैं. उन्हें मछली का प्रशिक्षण देते हुए उत्पाद बढ़ाने एवं उसके फायदे बताते हैं. इनके यहां से प्रशिक्षण प्राप्त सैकड़ों किसान आज लाभान्वित हो रहे हैं और दूसरे को रोजगार मुहैया करा रहे हैं. उन्होंने बताया कि हर हफ्ते 200 से 250 किसान बिहार के दूसरे ज़िला से मछली का प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं. उसके गुण बताने के बाद वे साथ में हंस भी ख़रीद कर ले जाते हैं. इससे तालाब का शोभा भी बढ़ता है.
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FIRST PUBLISHED : August 31, 2023, 14:19 IST