सड़क हादसे में गंवाया एक पैर…नहीं मानी हार, आज बॉडी बिल्डिंग में जीता गोल्ड

अंकित दुदानी/चंडीगढ़ : जीवन में हर किसी का सामना मुश्किलों से होता ही है. कुछ लोग इन मुश्किलों से हार मान तो कुछ लोग इन मुश्किलों से लड़ अपनी जिंदगी को पूरी तरह बदल देते हैं और समाज में अपनी अलग पहचान बनाते हैं. ऐसी ही एक मिसाल पेश की है चंडीगढ़ के आशीष ठाकुर ने.

तीन साल पहले एक सड़क हादसे में अपनी एक टांग गंवाने वाले आशीष ने हिम्मत नहीं हारी. लगभग डेढ़ साल की मेहनत के बाद आशीष ने स्पेशली चैलेंज कैटेगरी में बॉडी बिल्डिंग में गोल्ड मेडल जीतकर अपने जैसे सैकड़ों लोगों के लिए मिसाल कायम की है.

सड़क हादसे में गंवानी पड़ी टांग

आज से 3 साल पहले आशीष ठाकुर आम लोगों की तरह ही अपनी जिंदगी जी रहे थे,लेकिन एक दिन घर जाते वक्त चंडीगढ़ में एक तेज रफ्तार गाड़ी ने बाइक टक्कर मार दी. इस सड़क हादसे में जब अस्पताल में आशीष की आंख खुली तो पता चला की उनकी दाहिनी टांग पर गंभीर चोटें आई हैं. हफ्ते भर इलाज के बाद आशीष के 24वें जन्मदिन पर 14 फरवरी को डॉक्टर को उनकी टांग को इंफेक्शन के चलते काटना पड़ा.

आशीष ने न्यूज 18 से बातचीत में बताया कि एक ही पल में उनकी जिंदगी मानो पूरी तरह से रूक गई. उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि अब आगे क्या होगा? उस सड़क हादसे के बाद उनके सभी दोस्त रिश्तेदारों ने उसे हमदर्दी और सहानुभूति से देखना शुरू कर दिया. दोस्तों और रिश्तेदारों की बातें कानों में सुई की चुभन की तरह चुभनी शुरू हो गई वह दौर ऐसा था कि पलंग पर हर पल काटना मुश्किल हो रहा था. डिप्रेशन की वजह से मानसिक परेशानी और बढ़नी शुरू हो गई थी.

परिवार वालों ने बढ़ाया हौसला

आशीष ने बताया कि उस समय परिवार में माता-पिता ने जिस तरह से संभाला उसी की वजह से आज वे इस मुकाम तक पहुंच सके हैं. लगातार 1 साल तक बेड पर रहने की वजह से वजन भी बढ़ना शुरू हो गया था. आशीष कहते हैं कि हादसे से पहले भी वे जिम जाया करते थे, लेकिन एक दोस्त के कहने पर एक बार फिर से सीरियस होकर बॉडीबिल्डिंग की तरफ काम करना शुरू किया. शुरुआती समय में खूब दिक्कत और परेशानियां आई क्योंकि आर्टिफिशियल टांग की वजह से ना तो ढंग से चला जाता था और ना ही एक्सरसाइज हो पाती थी.

6 से 7 घंटे तक वर्कआउट

आशीष ने बताया कि उस समय उसने अपने मजबूत इरादे के साथ ठाना और जो उसे हारता हुए देखना चाहते थे उन्हें गलत साबित करने के लिए अपना पूरा जी जान लगा दी. लगभग जिम के अंदर 6 से 7 घंटे लगातार वर्कआउट किया और आज लगभग डेढ़ साल के बाद दिल्ली में हुई स्पेशल चैलेंज कैटेगरी में बॉडी बिल्डिंग में गोल्ड मेडल जीतकर अपने जैसे सैकड़ों लोगों के लिए एक नई मिसाल कायम की है. आशीष का सपना है कि वह आगे मुंबई में होने वाली प्रतियोगिता में भी इससे और बेहतर प्रदर्शन करें.

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