शिक्षकों से बाबूगीरी कराने पर उखड़े बिहार के आईएएस अफसर ने दिखाया पावर

पटना. बिहार में इन दिनों दो वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों के बीच लेटरवॉर की खूब चर्चा हो रही है. दरअसल, पिछले कुछ दिनों से शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक (IAS KK Pathak) और बिहार पब्लिक सर्विस कमीशन (BPSC) के चेयरमैन और वरिष्ठ आईएएस अधिकारी अतुल प्रसाद (IAS Atul Prasad) के बीच विवाद शुरू हो गया था. बिहार में 4 सितंबर को शिक्षक बहाली के लिए वेरिफिकेशन का काम शुरू हुआ और इस काम के लिए शिक्षकों की भी ड्यूटी लगाई गई. दस्तावेज सत्यापन के लिए शिक्षकों की ड्यूटी लगाने पर शिक्षा विभाग ने आपत्ति जताई. इसके बाद बीपीएससी ने शिक्षकों को इस काम से हटा लिया, लेकिन इससे विवाद और बढ़ गया.

शिक्षकों को लेकर शिक्षा विभाग द्वारा आपत्ति उठाने पर बीपीएससी के चेयरमैन अतुल प्रसाद खफा हो गए. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट के जरिए शिक्षा विभाग को घेरा. इस पोस्ट में बिना नाम लिए उन्होंने शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक पर निशाना साधा. उन्होंने लिखा कि शिक्षक बहाली को लेकर जारी प्रमाण पत्र का सत्यापन रद्द नहीं होगा. डॉक्युमेंट वेरिफिकेशन का काम जारी रहेगा. जिन तत्वों ने डॉक्युमेंट वेरिफिकेशन रद्द कराने की कोशिश की उन्हें और अधिक प्रयास करना चाहिए. बीपीएससी ने चिट्ठी लिखकर भी शिक्षा विभाग को खरी-खोटी सुनाई.

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बिहार कैडर के 1990 बैच के आईएएस अधिकारी केके पाठक की छवि एक कड़क औऱ ईमानदार अधिकारी की रही है. 

बीपीएससी और शिक्षा विभाग में तकरार
शिक्षा विभाग ने एक पत्र में बीपीएससी की स्वयत्ता पर तंज कसा है. पत्र में लिखा गया कि स्वयत्ता का मतलब अराजकता नहीं होता. आयोग सेवा शर्तों के उलट काम विवेकहीन और मूर्खतापूर्ण निर्णय नहीं ले. आयोग अपनी आंतिरक प्रक्रिया का स्वयं निर्वहन करे. अवांछित तथ्यों का उल्लेख ना करे. शिक्षा विभाग ने अपने पत्र में आयोग को नसीहत दी है कि ऐसा काम ना करे कि नियुक्ति प्रक्रिया फंस जाए. इसके साथ ही शिक्षा विभाग ने यह सलाह भी दी है कि आयोग पत्र लिखकर टाइम बर्बाद नहीं करे. अब दोनों विभागों की लड़ाई बढ़ती जा रही है.

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केके पाठक को दखलंदाजी मंजूर नहीं
बिहार कैडर के 1990 बैच के आईएएस अधिकारी केके पाठक की छवि एक कड़क औऱ ईमानदार अधिकारी की रही है. पाठक अपने काम में किसी का भी दबाव बर्दाश्त नहीं करते. वे अपना फोकस अपने असाइनमेंट पर रखते हैं. सीएम नीतीश कुमार के पसंदीदा अधिकारियों में इनका स्थान है. इसी साल केके पाठक को मद्य निषेध विभाग से तबादला कर शिक्षा विभाग का सचिव बनाया गया था. बिहार के स्कूलों को सुधारने और अच्छी पढ़ाई करने की जिम्मेदारी इन्हें मिली है. यही वजह है कि शिक्षक पढ़ाने के अलावा कोई और काम करें उन्हें पसंद नहीं. बीपीएससी ने शिक्षक बहाली के वेरिफिकेशन में लगाया तो उन्होंने आपत्ति उठाई. अब, जब बीपीएससी ने शिक्षा विभाग को लेकर तंज कसा तो केके पाठक ने पत्र में करारा जवाब लिखा.

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