शहर की पहली महिला जो सड़क किनारे सिलती है चप्पल-जूता, इनका सपना…

मोहन ढाकले/बुरहानपुर. एक चर्चित फिल्म का डायलॉग है… मां से ताकतवर दुनिया में कोई नहीं… वैसे देखा जाए तो यह सच भी है. एक मां अपने बच्चों के लिए बड़ी से बड़ी मुश्किलों से अकेले लड़ सकती है. कुछ ऐसा ही बुरहानपुर की रेखा भी कर रही हैं. खुद पढ़-लिख नहीं पाई, लेकिन अपनी बेटी को डॉक्टर बनाने के लिए फुटपाथ पर बैठकर जूते-चप्पल सिलने का काम करती हैं.

जिले के लालबाग क्षेत्र में रहने वाली रेखा परदेसी की कहानी संघर्षों से भरी है. विवाह होने के बाद रेखा का तलाक हो गया था. तब से रेखा और उसकी बेटी अपने नाना के घर पर रह रहे हैं. रेखा ने अपने पिता चंपालाल से चप्पल और जूते सिलने का काम सीखा और 5 वर्षों से फुटपाथ पर बैठकर चप्पल-जूते सिल कर रोजगार के साथ बेटी की पढ़ाई के लिए पैसा इकट्ठा कर रही हैं.

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जिले की पहली महिला जो…
रेखा ने बताया कि मैं महिला होकर फुटपाथ पर बैठकर चप्पल जूते सिल कर घर परिवार का पालन पोषण करती हूं. अपनी बेटी नेहा को डॉक्टर बनना चाहती हूं, इसलिए मैं इस तरह का कार्य कर रही हूं. मैं जिले की पहली महिला हूं, जो फुटपाथ पर बैठकर चप्पल जूते सिलकर अपना खर्च निकाल रही है. मुझसे अन्य महिलाएं भी प्रेरणा लेकर व्यवसाय कर रही हैं.

बेटी 11वीं में कर रही पढ़ाई
बेटी नेहा का कहना, मैं बायो साइंस की कक्षा 11वीं में पढ़ाई कर रही हूं. मेरी मां का सपना है कि मैं डॉक्टर बनूं, इसके लिए मैंने बायो साइंस लिया है. आगे भी मैं पढ़ाई कर कर मेरी मां का सपना पूरा करूंगी.

रेखा अन्य महिलाओं के लिए बनी प्रेरणा
रेखा अब जिले में अन्य महिलाओं के लिए भी प्रेरणा बनी चकी हैं. बताया, अन्य महिलाएं भी मेरे कार्य के बारे में जानकारी लेने के लिए पहुंच रही हैं. रेखा ने अभी तक 20 से अधिक महिलाओं को चप्पल जूते सिलने का कार्य करने की जानकारी दी है.

रेखा ने प्रशासन से लगाई गुहार
रेखा ने जिला प्रशासन से गुमटी मिले, इसकी गुहार लगाई है. महिला का कहना है कि मैं यहां पर बैठकर अभी हजारों रुपये महीना कमा रही हूं. यदि मुझे गुमटी मिलती है तो मेरा व्यवसाय और बढ़ जाएगा.

Tags: Local18, Women Empowerment, Womens Success Story

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