राष्ट्रीय स्तर पर बनाई पहचान! अब आर्थिक तंगी की झेल रहे मार

मो.महमूद आलम/नालंदा. बिहार में खेल प्रतिभाओं की कमी नहीं है. बस यहां संसाधन का अभाव अगर खिलाड़ियों को आर्थिक से लेकर के अन्य मदद मिले तो वह विश्व पटेल पर बिहार सहित जिले का नाम रोशन करेंगे. बात हो रही हैनालंदा के लाल आदित्य की. जो आर्थिक तंगी की वजह से अंतर्राष्ट्रीय पैरा ओलंपिक नहीं खेल सके. लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर 14 मेडल जीत बिहार का नाम रोशन कर चुके हैं. मूल रूप से ज़िले के अस्थावां प्रखंड अंतर्गत कुलती गांव निवासी शशि कुमार के पुत्र हैं. खेल दिवस के मौके पर बिहार सरकार द्वारा पटना के ज्ञान भवन में आयोजित राष्ट्रीय खेल सम्मान समारोह में आदित्य राज गौतम को गोल्ड मेडल से सम्मानित किए जाने पर ग्रामीणों में हर्ष का माहौल है.

सरकार अगर खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करे तो बिहार के युवा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाकर विश्व पटल पर बिहार को गौरवान्वित कर सकते हैं. एथलीट आदित्य राज गौतम ने बताया कि वह इंटर की पढ़ाई के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय के अरबिंदो कॉलेज से पॉलिटिकल साइंस में स्नातक की पढ़ाई के लिए गए थे. उस दौरान कॉलेज में पढ़ाई के साथ सालाना खेलकूद प्रतियोगिता में हिस्सा लिया. 2016 में इसकी शुरुआत हुई. उसके बाद युवक ने बेहतर प्रदर्शन करते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय की ओर से खेला, फिर वहां उत्कृष्ट प्रदर्शन कर राज्य स्तरीय खेल में पहुंचा. वहां से अच्छा प्रदर्शन किया तो राष्ट्रीय खेल में उसका चयन हुआ. जिसके बाद 2019 में हरियाणा के पंचकुला में. उसके बाद 2020 में रायपुर में, फिर 2021 में पटना में, 2022 में भुवनेश्वर में और 2023 में पुणे में मेडल जीता. जिसमें 7 गोल्ड, 3 सिल्वर और 4 ब्रॉन्ज मेडल शामिल है.

आशीर्वाद और मेहनत के बल बूते यहां पहुंचे 

आदित्य ने आगे बताया कि पिता किसान हैं घर की आर्थिक स्थिति सही नहीं होने की वजह से उन्हें कष्ट भी झेलना पड़ा. लेकिन माता-पिता के आशीर्वाद के साथ अपने मेहनत के बल बूते यहां पहुंचे हैं. अब तक राज्य और राष्ट्र स्तर पर कई पदक जीत चुके हैं. घर की आर्थिक स्थिति सही नहीं होने की वजह से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 2023 में दुबई और मोरक्को में चयनित हुए, लेकिन साढ़े तीन लाख रुपए नहीं होने की वजह से नहीं जा पाए. जिसका मलाल भी है.

खेल से भी बना सकते हैं करियर

इसके अलावा उन्होंने कहा कि पहले की जो कहावत थी कि पढ़ोगे लिखोगे तो बनोगे नवाब और खेलोगे कूदोगे तो बनोगे खराब वह कहावत बिल्कुल बदल चुकी है. अब खेल के जरिए भी अपनी इज़्जत शोहरत बना सकते हैं. इसके लिए एक लक्ष्य चुनना होगा उसके साथ मेहनत की ज़रूरत है. इस लिए जो भी छोटे भाई खेल के प्रति रुचि रखते हैं उन्हें लग्न के साथ खेलने की जरूरत है. आदित्य राज गौतम 2014 में बिहार बोर्ड से मैट्रिक और 2016 में इंटरमीडिएट की परीक्षा पास की थी.

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