युद्धपोत ‘महेंद्रगिरि’ का जलावतरण, उपराष्ट्रपति ने इसे भारतीय समुद्री ताकत का दूत करार दिया

एडमिरल ने कहा कि समुद्री डकैती, नशीली दवाओं की तस्करी और प्राकृतिक आपदाओं जैसी गैर-पारंपरिक चुनौतियों का संकट भी जारी है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के दृष्टिकोण ‘सागर’ से प्रेरित होकर नौसेना ना केवल भारत के राष्ट्रीय समुद्री हितों को आगे बढ़ाने, उनकी रक्षा करने और उन्हें बढ़ावा देने के लिए सेवारत है, बल्कि क्षेत्र में सभी को प्रभावित करने वाले सुरक्षा खतरों से निपटने के लिए भी सक्रिय है। जलावतरण समारोह में महाराष्ट्र के राज्यपाल रमेश बैस, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस भी उपस्थित थे।

भारतीय नौसेना के लिए मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (एमडीएल) द्वारा निर्मित ‘स्टील्थ’ युद्धपोत ‘महेंद्रगिरि’ का शुक्रवार को मुंबई में जलावतरण किया गया जिससे भारतीय नौसेना की ताकत में इजाफा होगा। उपराष्ट्रपति ने इसे भारत की समुद्री ताकत का दूत करार दिया।
जलावतरण समारोह में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ मुख्य अतिथि थे। इस मौके पर उनकी पत्नी सुदेश भी मौजूद थीं।
धनखड़ ने कहा, ‘‘महेंद्रगिरि का जलावतरण हमारे समुद्री इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।’’
धनखड़ ने कहा कि यह उचित है कि युद्धपोत का जलावतरण मुंबई जैसे शहर में हुआ।
इस युद्धपोत का नाम ओडिशा में पूर्वी घाट में सबसे ऊंची पर्वत चोटी के नाम पर रखा गया है। यह युद्धपोत ‘परियोजना 17-ए’ के तहत निर्मित सातवां जहाज है। यह युद्धपोत उन्नत युद्धक प्रणालियों, अत्याधुनिक हथियारों, सेंसर और प्लेटफॉर्म मैनेजमेंट सिस्टम से लैस है।

धनखड़ ने कहा, ‘‘मुझे यकीन है कि जलावतरण के बाद ‘महेंद्रगिरि’ भारत की समुद्री शक्ति के दूत के रूप में समुद्र में पूरे गर्व से तिरंगा लहराएगा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मैं पूरे विश्वास के साथ हमारे सुरक्षा बल को बधाई देता हूं। वे दुनिया की सुरक्षा के लिए व्यापक रूप से खुद को बेहतर बनाना जारी रखेंगे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘सेना, नौसेना और वायुसेना में 10,000 से अधिक महिला कर्मियों की मजबूत उपस्थिति के साथ भारतीय सशस्त्र बल ने लैंगिक समानता की दिशा में भी काफी प्रगति की है।’’
‘महेंद्रगिरि’ के जलावतरण पर उन्होंने कहा, ‘‘यह ‘परियोजना 17-ए’ के तहत निर्मित नीलगिरि श्रेणी के युद्धपोत बेड़े का सातवां और आखिरी युद्धपोत है।’’
उन्होंने 15 महीने में समान श्रेणी के पांच युद्धपोत के जलावतरण का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘ ‘आत्म निर्भरता’ की दिशा में हमारी दृढ़ प्रतिबद्धता के तहत ‘नीलगिरि’ श्रेणी के उपकरणों और प्रणालियों के लिए 75 प्रतिशत ऑर्डर स्वदेशी कंपनियों को दिए गए।’’

उन्होंने कहा कि भारत का आकार के लिहाज से 90 फीसदी कारोबार और मूल्य के लिहाज से 60 फीसदी कारोबार समुद्री मार्ग से होता है।
धनखड़ ने कहा, ‘‘महेंद्रगिरि का जलावतरण नौसेना को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में की गई हमारे राष्ट्र की अतुलनीय प्रगति का उपयुक्त उदाहरण है।’’
नौसेना प्रमुख एडमिरल आर. हरि कुमार ने कहा कि महेंद्रगिरि नौसेना के बढ़ते बेड़े के लिए मूल्यवान साबित होगा।
उन्होंने कहा, ‘‘गतिशीलता, पहुंच और लचीलेपन जैसी विशेषताओं के साथ पोत की विविधता महेंद्रगिरि को भारत की समुद्री शक्ति का एक बेजोड़ हथियार बनाएगी।’’
उन्होंने उम्मीद जताई कि महेंद्रगिरि नौसेना में शामिल होने के बाद भारत की समुद्री ताकत के दूत के रूप में गर्व से महासागरों में तिरंगा फहराएगा।
एडमिरल कुमार ने कहा कि युद्धपोत का जलावतरण एक महत्वपूर्ण समय पर हुआ है। उन्होंने कहा कि राष्ट्र की आकांक्षात्मक गति को बनाए रखने के लिए एक सुरक्षा छतरी की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा कि हिंद महासागर क्षेत्र और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में पारंपरिक सुरक्षा चुनौतियां लगातार बनी हुई हैं।
एडमिरल ने कहा कि समुद्री डकैती, नशीली दवाओं की तस्करी और प्राकृतिक आपदाओं जैसी गैर-पारंपरिक चुनौतियों का संकट भी जारी है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के दृष्टिकोण ‘सागर’ से प्रेरित होकर नौसेना ना केवल भारत के राष्ट्रीय समुद्री हितों को आगे बढ़ाने, उनकी रक्षा करने और उन्हें बढ़ावा देने के लिए सेवारत है, बल्कि क्षेत्र में सभी को प्रभावित करने वाले सुरक्षा खतरों से निपटने के लिए भी सक्रिय है।
जलावतरण समारोह में महाराष्ट्र के राज्यपाल रमेश बैस, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस भी उपस्थित थे।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।



Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *