यह ठाकुरबारी मंदिर है सैकड़ों वर्ष पुराना, जन्माष्टमी पर सजता है भगवान का झूला

शशिकांत ओझा/पलामू. पलामू जिले के चैनपुरगढ़ में स्थित ठाकुरबारी मंदिर सैकड़ों वर्ष पुराना है. इस मंदिर को राजाओं के कालखंड में बनाया गया था. वहीं हर वर्ष कई पर्व, त्योहार पर कई तरह के आयोजन होते है. खास तौर पर इस मंदिर से भव्य जगन्नाथ रथ यात्रा निकाला जाता है. वहीं जन्माष्टमी के मौके पर श्री कृष्ण जन्मोत्सव का आयोजन होता है. इस दौरान आस-पास के गांव से सैकड़ों लोग भजन कीर्तन और प्रसाद ग्रहण करते है.

चैनपुर गढ़ के मालिक और भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश मंत्री विवेक भवानी सिंह ने बताया की इस मंदिर का निर्माण 1831 ईसवी में राजा जयनाथ सिंह के द्वारा कराया गया था. इसकी कहानी है की राजा जयनाथ सिंह को संतान की प्राप्ति नहीं हो रही थी. जिसके बाद उनके सपने में भगवान जगन्नाथ आए और उन्होंने उनकी पूजा अर्चना करने को कहा जिसके बाद चैनपुर गढ़ में भगवान जगन्नाथ का मंदिर निर्माण हुआ. हर वर्ष भव्यता से जगन्नाथ रथ यात्रा निकाला जाने लगा. इस दौरान 15 दिन पुरी से भगवान जगन्नाथ के भोजन आते थे. कालांतर में राजा भागवत दयाल सिंह के द्वारा 1891 ईसवी में मंदिर का विस्तार करते हुए एक एकड़ में राधा कृष्ण दरबार, राम सीता दरबार और शिवालय मंदिर का निर्माण हुआ. जगन्नाथ मंदिर निर्माण से पहले एक चबूतरे बार भगवान शिव की पूजा होती थी. जिसे 1891 में भव्य मंदिर का रूप दिया गया.

1891 ईसवी में मंदिर का विस्तार
उन्होंने बताया की राजा ब्रजदेव नारायण सिंह जो की इस रियासत के अंतिम राजा हुए. उन्होंने 1946 में मंदिर के ट्रस्ट बनाकर पांच गांव मंदिर के नाम पर दान दिया गया. चियांकी, गनके, लालगढ़ बिहार, कंकारी और रकसी गांव का 16 आना जमीन सवैत वर्तमान में गढ़ परिवार को सौंपा गया. ये जमीन पर रैयतियों का कब्जा है और इन पांच गांव को लेकर सिविल कोर्ट में लड़ाई चल रही है. उस जमीन पर रैयतियो का कब्जा है. इस मामले की कानूनी लड़ाई कोर्ट में चल रही है. वहीं मंदिर के सभी सेवा कार्य निजी खर्च द्वारा किया जा रहा है.

इन खास त्योहारों पर होते है आयोजन
इस मंदिर में मुख्य रूप से रथयात्रा होता है. जगन्नाथ रथ यात्रा 10 दिवसीय आयोजित होता है. जिसमें एक दिन लगभग 2 किलोमीटर का रथ यात्रा निकाला जाता है. जिसमें दूर-दूर से लोग शामिल होने आते है. रथ को खींचते है. इस दौरान मेले जैसा भव्य नजारा होता है. उसके बाद घूरती रथ होता है. वहीं एक दिन पूर्व छप्पन भोग का आयोजन होता है. जन्माष्टमी के मौके पर भगवान का झूलन लगता है. इसके साथ-साथ भजन कीर्तन का आयोजन होता है. महनभोग का प्रसाद भक्तों को खिलाया जाता है. रामनवमीं के मौके पर चैत्र नवरात्रि के काली मां का पूजा नौ दिन होता है. इसके साथ खास तौर पर रामनवमी के दिन पंजीरी का प्रसाद बनता है.जो भक्तो में बांटा जाता है.

हर दिन तीन बार होता है भगवान का पूजा
मंदिर के पुजारी नगवंथ पाठक ने बताया की यहां हर दिन तीन बार पूजा आयोजित होती है. सुबह, शाम, रात में भगवान की आरती होती है. वहीं भगवान के लिए खास तौर पर घी का बना व्यंजन का भोग लगाया जाता है. जो की बिना प्याज लहसुन के दाल, चावल, सब्जी का भोग लगाया जाता है.

कई मेधावी छात्रों को मिला था स्कॉलरशिप
उन्होंने बताया की मंदिर के जीर्णोद्वार के साथ पुस्तकालय का निर्माण कराया गया था. जो की भागवत दयाल सिंह द्वारा कराया गया था. इसी दौरान स्कॉलरशिप का आयोजन मेधावी छात्रों के लिए कराया गया था. उन मेधावी छात्रों के पढ़ाई लिखाई, रहने खाने पर खर्च का वहन चैनपुर स्टेट द्वारा किया जाता था. इसका लाभ 1947 तक मेधावी छात्रों ने लिया.

Tags: Jharkhand news, Local18, Palamu news, Religion 18

Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *