कैलाश कुमार/बोकारो. पुराने समय में झारखंड के प्रत्येक गांव के लोग हस्त कला में माहिर हुआ करते थे. चाहे वह मिट्टी से बर्तन बनाना हो या बांस से टोकरी बनाना. समय के साथ वक्त बदल गया औरयह ग्रामीण कलाएं झारखंड से धीरे-धीरे लुप्त होती चली गई. ऐसे में रांची के कारीगर अजय मंडल बोकारो के सेक्टर 1 सड़क किनारे खजूर के पत्तों से गुलदस्ता बनाकर कर बिक्री कर रहे हैं.
कारीगर अजय मंडल ने कहा कि वह बीते 40 साल से भी अधिक समय से खजूर और बांस से बने उत्पादों जैसे टोकरी गुलदस्ता चटाई का काम कर रहे हैं. झारखंड, बंगाल से लेकर उत्तर प्रदेश तक घूम-घूम कर खजूर के पत्तों से बना गुलदस्ता की बिक्री का काम करते हैं. अजय ने बताया गुलदस्ता कि किमत 200 रुपए है. इससे बनाने के लिए खूब सारी मेहनत होती है और इसे खासतौर पर जंगलों से खजूर के पत्ते तोड़कर लाना पड़ता है.
गुलदस्ता की किमत 200 रुपए
गुलदस्ता बनाने को लेकर कारीगर अजय मंडल ने बताया कि सबसे पहले जंगलों से बड़े खजूर के पेड़ का चुनाव किया जाता है फिर उसके पत्ते को तोड़ा जाता है. उसे हाथों से बुनकर सुंदर फूल बनाया जाता है. आखिर में एक साथ सभी को बांधकर गुलदस्ता तैयार किया जाता है. कारीगर अजय ने बताया कि एक गुलदस्ता तैयार करने में लगभग 2 घंटे समय लगता है. दिन भर में वह चार से पांच गुलदस्ता की बिक्री कर लेते हैं.
एक गुलदस्ता 2 घंटे में होता है तैयार
अपने काम का जिक्र करते हुए अजय ने बताया कि यह काम मात्र 6 महीने तक ही चलता है. बाकी दिन वह अपने परिवार के साथ मिलकर खेती का काम करते हैं. खजूर के पत्तों से बने गुलदस्ता की खरीदारी कर रहे ग्राहक नासिर हुसैन ने बताया कि आजकल गांव देहात की कारीगरी बहुत कम देखने को मिलती है. ऐसे में हमें आगे आकर इन कारीगरों को बढ़ावा देना चाहिए.
.
FIRST PUBLISHED : August 24, 2023, 17:31 IST