रामकुमार नायक/महासमुंद – शिव जी को प्रसन्न करने के लिए सावन का महीना सबसे उत्तम माना गया है. इस माह में शिव जी की विधि-विधान से पूजा की जाती है. छत्तीसगढ़ में कई ऐसे शिव मंदिर हैं जिनकी महिमा अपने आप में ऐतिहासिक है. आज हम आपको चंपारण्य के चम्पेश्वर महादेव मंदिर के बारे में बताने वाले हैं.श्री चम्पेश्वरनाथ मंदिर ग्राम चंपारण्य मे स्थित है. महासमुन्द जिला से इसकी दूरी लगभग 25 कि.मी. दूर है. वहीं रायपुर जिला से राजीम होते हुए इसकी दूरी लगभग 55 कि.मी. है. इस मंदिर में सुबह से ही शिव भक्तों का तांता लगता है. सुबह से ही स्वंयम्भू के दर्शन व पूजा करने भक्त मंदिर पहुंचते हैं. यह पंचकोशी धाम मंदिर का ही विशेष स्वयंभू शिव मंदिर है. मंदिर को लेकर कई मान्यताएं हैं, जहां देशभर से शिव भक्त पहुंच कर अपनी अर्जी लगा रहे है.
मंदिर के इतिहास के विषय में कहा जाता है कि आज से 1250 वर्ष पहले चंपारण्य सघन वन क्षेत्र था, जहां लोगों का आना जाना संभव नहीं था, तभी यहां भगवान त्रिमूर्ति शिव का अवतरण हुआ. लोगों का आवगमन ना होने से भगवान शिव ने एक गाय को अपना निमित्त बनाया. यह गाय रोज अपना दूध त्रिमूर्ति शिव को पिलाकर चली जाती थी. जब ग्वाला दूध लेता था तब दूध नहीं आता था. इस बात से ग्वाले को संदेह हुआ और उसने एक दिन गाय का पीछा किया तो देखा कि गाय अपना दूध शिवलिंग को पिला रही है.
गर्भवती महिलाओं का प्रवेश वर्जित
ग्वाले ने यह बात राजा को बताई और इस तरह यह बात पूरे विश्व में फैल गई और दूर-दूर से लोग भगवान श्री त्रिमूर्ति शिव के दर्शन के लिए आने लगे. इसे त्रिमूर्ति शिव पुकारे जाने का भी एक कारण यह है की यह शिवलिंग तीन रूपों का प्रतिनिधित्व करता है. ऊपरी हिस्सा गणपति का, मध्य भाग शिव का और निचला भाग मां पार्वती का इस कारण इसे त्रिमूर्ति शिव के नाम से पुकारा जाता है.चंपारण्य के श्री चम्पेश्वरनाथ महादेव मंदिर में गर्भवती महिलाओं का जाना वर्जित है. इसके अलावा महिलाओं को यहां प्रवेश के पहले बाल खोल लेने कि भी सलाह दी जाती है. अर्थात बाल बांधकर अंदर प्रवेश करना भी मना है.
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FIRST PUBLISHED : August 19, 2023, 16:18 IST