महादेव के आगे कब और कितनी बार बजानी चाहिए ताली, जानिए इसका समय और कारण

विक्रम कुमार झा/पूर्णिया. अगर आप महादेव की पूजा करने मंदिर जाते हैं तो वहां आपने शिवलिंग के सामने लोगों को 3 बार ताली बजाते देखा होगा. आपको पता है ऐसा क्यों किया जाता है? इस पर पूर्णिया के पंडित मनोत्पल झा कहते हैं कि शिव मंदिर में 3 बार ताली बजाने के अनेक फायदे हैं. ताली बजाने के सबसे पहले फायदे की अगर बात करें तो स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से भी ताली बजाना लोगों के लिए बेहद लाभकारी होता है. साथ-साथ ताली बजाने से हमारे शरीर में रक्त संचार तेज होता है. कई रोगों से भी छुटकारा मिलता है. वहीं इसके पीछे का कारण रावण से जुड़ा है.

पंडित जी कहते हैं कि किसी मंदिर में जब आप पूजा करने जाते हैं तो उसे टाइम पंडित जी तीन बार ताली बजाया करते हैं. सबसे पहला कारण यह है ताली बजाने का पहला अर्थ है कि अपनी उपस्थिति दर्ज करना. दूसरा अर्थ याचना से जुड़ा है. दरअसल भगवान के सामने हम अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के बाद अपने कष्ट और दुख दर्द से निवारण की याचना करते हैं. इसलिए दूसरी ताली बजाई जाती है. तीसरी बार ताली बजाने का मतलब है कि हे ईश्वर, मुझे आप अपना शरणागत बना कर रखें, अपने चरणों में जगह दें.

तय है ताली का वक्त

पंडित जी के मुताबिक, शास्त्र में ऐसा लिखा गया है कि संसार में रावण से बड़ा पंडित या विद्वान अब तक न कोई था, न कोई होगा. रावण ने अपनी भक्ति की शक्ति और भाव से प्रकट करने के लिए शिव जी का आराधना की. उसने अपना शीश अर्पित कर दिया. उन्होंने तीन ताली बजाकर कर ही ऊपर अपनी उपस्थिति यानी अपने विचार, अपना दुख दर्द प्रभु को सुनाया. साथ ही साथ वह कहते हैं कि भगवान श्री कृष्ण की कई पटरानियां थीं. लेकिन उन्हें संतान नहीं हो रहा था. तो उन्होंने भगवान शिव की पूजा आराधना कर संतान प्राप्ति के लिए शिव जी की आराधना कर तीन तालियां बजाकर भगवान शिव से संतान की मनोकामना की. उन्होंने कहा कि जब रामेश्वरम में स्थापना हो रही थी, उसी समय भी भगवान श्री राम ने 3 ताली बजाकर प्रभु शिव के सामने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई थी. अपनी सफलता के लिए मनोकामना मांगी थी.

किसी भी जाकर न बजाएं ताली

पंडित मनोत्पल झा कहते हैं कि शिव मंदिर में पूजा करने के बाद हर समय 3 बार ताली नहीं बजानी चाहिए. पंडित जी कहते हैं कि कई भक्त ऐसे होते हैं कि शिव मंदिर में किसी भी टाइम में आकर पूजा पाठ करने के बाद शिव मंदिर में ताली बजा देते हैं. यह गलत चीज है. ऐसे में भगवान का भी विश्राम का समय होता है. तो ऐसे में भक्तों को किसी भी समय में ताली नहीं बजना चाहिए. ताली बजाने का जो वह शुभ समय होता है. जिस समय ईश्वर आपकी योजनाओं को सुनेंगे, आपके कष्ट को दूर करेंगे तो उसे समय आप ताली बजा सकते हैं.

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