महर्षि दधीचि से जुड़ा है इस आश्रम का इतिहास, वेदों और पुराणों में है चर्चा

विशाल कुमार/छपरा. पौराणिक काल से ही छपरा की अपनी एक अलग पहचान रही है. यह दर्जनों प्रसिद्ध ऋषि-मुनियों का पवित्र तपोस्थली रहा है. इसका जिक्र धार्मिक ग्रथों में भी मिलता है. छपरा शहर के दहियावां में हीं महर्षि दधिचि आश्रम स्थित है. इस स्थल को मंदिर का शक्ल दे दिया गया है और अब इसे उमानाथ मंदिर के नाम से भी जाना जाता है. यह अति प्राचीन मंदिर है.

स्थानीय लोगों की माने तो हजारों वर्ष पुराना यह आश्रम है, जो अब भी विद्यमान है. महर्षि दधिचि के आश्रम की चर्चा कई ग्रंथों में भी है. कहा जाता है कि सबसे पहले महर्षि दधीचि ने ही त्याग का संदेश दिया था. जिनकी अस्थि दान कर देने के बाद उससे बने अस्त्र से असूर का वध किया गया था. जिससे समस्त जीव का कल्याण हुआ है.

महर्षि दधीचि ने दान की थी अस्थियां 

मंदिर समिति के संयोजक अरुण पुरोहित ने बताया कि महर्षि दधीचि सतयुग के महान महर्षि में से एक थे. उसी समय वृत्रासूर नामक राक्षस भी था. जिसका तीनों लोक पर आधिपत्य था. उसके आतंक से सभी देवी-देवता देवलोक छोड़ चुके थे. सभी देवताओं ने भगवान विष्णु के पास जाकर दुख निवारण करने की याचना की. तब भगवान विष्णु ने बताया कि भूलोक पर महर्षि दधीचि का आश्रम है.

वह अपने अस्थियां का दान कर दे तो उस अस्ति से बज्र नामक अस्त्र तैयार होगा. उसी अस्त्र से वृत्रासूर का वध होगा. जिसके बाद इंद्र सहित समस्त देवी-देवता दहीयावां स्थित आश्रम में महर्षि से आकर अपनी व्यथा सुनाई. जिसके बाद महर्षि दधीचि ने समस्त जीवों के कल्याण के लिए अपने प्राणों की आहुति देकर अस्थि दान कर दिया. उसी बज्र नामक अस्त्र तैयार हुआ, जिससे से वृत्रा सूर का वध हुआ.

वेद और पुराणों में है महर्षि दधीचि आश्रम की चर्चा

मंदिर समिति के संयोजक अरुण पुरोहित ने बताया कि महर्षि दधीचि आश्रम का चारों वेद एवं 18 पुरान में चर्चा है. उन्होंने बताया कि अग्नि पुराण, विष्णु पुराण में भी वर्णित है. उन्होंने बताया कि सरजू नदी के तट पर यह आश्रम स्थापित है. कभी इस मोहल्ले को दधिचि नगर और दहियावा टोला भी कहा जाता था. स्थानीय लोगों ने बताया कि ऐतिहासिक मंदिर होने के बावजूद प्रशासन से कोई मदद नहीं मिलती है.

स्थानीय लोगों के द्वारा हीं मंदिर का समय-समय पर जीणोद्धार कराया जाता है. वर्तमान में मंदिर की जो समिति है वह 2014 से निरंतर मंदिर को बचाने का काम कर रहे हैं. साथ हीं विकास का भी काम कर रहे हैं. मंदिर के गुंबद पर टाइल्स लगाने का कार्य चल रहा है. मंदिर समिति उमानाथ मंदिर को पर्यटक स्थल के तौर पर विकसित करने के लिए निरंतर प्रयास कर रहा है.

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