महज 15 साल में बने झारखंड के ‘लिकर किंग’, जानें तिवारी ब्रदर्स को जिनके घर 34 घंटे चली ED की रेड

रिपोर्ट:सुमन भट्टाचार्य

जामताड़ा. शराब घोटाला मामले में जामताड़ा के मिहिजाम स्थित शराब कारोबारी योगेंद्र तिवारी के आवास पर चल रही ईडी की छापेमारी खत्म हो गई. आपको बता दें कि बुधवार सुबह करीब 7 बजे से गुरुवार शाम करीब 5:15 बजे तक लगभग 34 घंटे तक ईडी ने सघन छापेमारी की. इस दौरान एसबीआई बिल्डिंग स्थित योगेंद्र तिवारी के व्यावसायिक कार्यालय, होटल आर्या इन में जहां बुधवार देर शाम तक छापेमारी चली, वहीं योगेंद्र तिवारी के पैतृक आवास में आज दूसरे दिन भी देर शाम तक छापेमारी की गई.

आवास में मौजूद योगेंद्र तिवारी से भी ईडी के द्वारा लगातार पूछताछ की गई. सूत्रों के मुताबिक छापेमारी के दौरान ईडी को कई महत्वपूर्ण दस्तावेज हाथ लगे हैं, वहीं योगेंद्र तिवारी एवं उनके भाई अमरेंद्र तिवारी को 26 अगस्त को रांची ईडी कार्यालय में पूछताछ के लिए समन किया गया है. छापेमारी कर ईडी के अधिकारियों ने मीडिया से किसी भी प्रकार की बात नहीं की और योगेंद्र तिवारी की आवास से सीधे गाड़ियों में बैठकर रवाना हो गए.

6 लोगों की टीम ने की छापेमारी

गुरुवार की छापेमारी में ईडी की दो महिला अफसर समेत 6 सदस्यीय टीम थी. वहीं छापेमारी के बाद मीडियाकर्मियों से संपर्क करने पर योगेंद्र तिवारी ने ऑफ कैमरा मीडिया से बात की. इस दौरान उनके चेहरे पर किसी भी तरह का सिकन देखने को नहीं मिली. योगेंद्र तिवारी का कहना है कि उनका सारा व्यवसाय लीगल है, इसलिए वह ईडी के जांच एवं सारे सवालों का जवाब देने के लिए हमेशा तैयार हैं और इसमें उन्हें कोई परेशानी नहीं है. तिवारी ने बताया कि शनिवार को ईडी के समक्ष सशरीर भी उपस्थित हूंगा. तिवारी के मिहिजाम के अलावा रांची, धनबाद, दुमका, देवघर समेत कई शहरों में ईडी की एक साथ चली छापेमारी से झारखंड के राजनीति गलियारे में भी भूचाल मच गया.

कौन है योगेंद्र तिवारी

आपको बता दें कि योगेंद्र तिवारी मूल रूप से बिहार के सीवान जिले के निवासी हैं. उनके पिता रामेश्वर तिवारी चित्तरंजन रेल कारखाना के क्लर्क थे. रिटायर होने के बाद वह मिहिजाम में ही बस गए और फिर वर्ष 1998 में तत्कालीन उत्पाद अधीक्षक के सलाह एवं सहयोग से जामताड़ा के दुमका रोड में शराब की दुकान खोली. यही शुरुआती और बस यह व्यवसाय दिन-ब-दिन विस्तार होते गया और उन्होंने जिले के विभिन्न हिस्सों में शराब दुकान खोला. वर्ष 2007-08 में योगेंद्र तिवारी ने पिता के व्यवसाय की कमान संभाली, जिसमें उनके भाई अमरेंद्र तिवारी छोटे भाई की भूमिका में रहे और बड़े भाई डॉ जोगेंद्र तिवारी भी सहयोगी रहे.

सरकार किसी की तूती तिवारी की

तिवारी ब्रदर्स ने मिलकर यह व्यवसाय को पूरे राज्य में फैलाया और धीरे-धीरे वह राज्य के सबसे बड़े शराब कारोबारी बन गए. सरकार कोई भी हो झारखंड में शराब के कारोबार में सबसे प्रभावी शख्सियत योगेंद्र तिवारी ही रहा है. उनका हर राजनीतिक दलों के कई बड़े नेताओं के साथ करीबी संबंध रहा है. अपने राजनीतिक व नौकरशाही में अच्छे संबंधों के बदौलत राज्य में शराब के थोक कारोबार में वर्चस्व स्थापित किया था.

2020 में भी पुलिस ने कसा था शिकंजा

बता दें कि योगेंद्र तिवारी से जुड़े संथाल परगना के करीब 70 शराब के दुकानों व गोदामों में एक साथ पहली बार वर्ष 2020 में पुलिस ने छापेमारी की थी. इस मामले में दिन भर जामताड़ा के मिहिजाम थाना में पुलिस द्वारा योगेंद्र तिवारी को हिरासत में लेकर रखा गया और बाद में पुलिस को उन्हें छोड़ना पड़ा था. बताया जाता है कि जांच में पुलिस को कोई मजबूत साक्ष्य हाथ नहीं लगा था. उस समय भी झारखंड में वर्तमान हेमंत सोरेन की सरकार ही थी.

पूरे झारखंड में शराब का धंधा

बताया जाता है कि बाद में योगेंद्र तिवारी की इस सरकार में भी काफी मजबूत पकड़ हो गई. साल 2021 में सरकार की थोक शराब नीति लागू होने के बाद योगेंद्र तिवारी ने अपने सिंडिकेट के जरिए 19 जिलों में शराब के ठेकों पर वर्चस्व स्थापित किया था. तब उत्पाद विभाग को भेजे गए बैंक खातों इस बात का खुलासा हुआ था. योगेंद्र ने शराब के कारोबार को पूरे झारखंड में फैलाकर रखा है. शराब के कारोबार के साथ-साथ बालू व जमीन का कारोबार भी संथाल के क्षेत्र में इन्होंने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर शुरू किया.

मॉल से लेकर शोरूम तक के मालिक

योगेंद्र तिवारी ने शराब कारोबार के साथ-साथ बालू के कारोबार एवं जमीन की खरीद-फरोख्त के काम भी उतनी ही रफ्तार से किया है. इससे योगेंद्र तिवारी ने अकूत सम्पति अर्जित की है. शराब एवं बालू कारोबारी ने झारखंड के विभिन्न जिलों में जमीन के साथ-साथ कई अपार्टमेंट, शॉपिंग मॉल, होटल, टू एवं फोर व्हीलर शोरुम, ज्वेलरी शोरूम के अलावे कई शहरों में आलीशान भवन बना रखा है.

Tags: Jharkhand news

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