भारत-मध्य पूर्व और यूरोप शिपिंग और रेलवे कॉरिडोर की क्यों पड़ी जरूरत और इससे क्या हासिल होगा?

नई दिल्ली:

जी20 शिखर सम्मेलन के बीच ही एक बहुत बड़ी डील हुई और उसका ऐलान भी कर दिया गया. यह डील भारत-मध्य पूर्व और यूरोप के बीच एक मेगा कॉरिडोर की है. ये कोई साधारण कॉरिडोर नहीं है, बल्कि ये शिपिंग, रेलवे कॉरिडोर है, जो भारत-मध्य पूर्व और यूरोप को आपस में जोड़ेगा. इसमें रेल नेटवर्क मध्य पूर्व को आपस में जोड़ेगे और शिपिंग लेन भारत को इससे जोड़ेगा. इसके कारण इन सभी देशों के बीच कनेक्टिविटी, इंफ्रास्ट्रक्चर और सस्टेनेबिलिटी बढ़ेगी और सप्लाई चेंस बेहतर होंगे.

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इस कारण सब हुए एकजुट

डील की घोषणा के समय भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन, फ्रांस, सऊदी अरब, यूरोपियन यूनियन, यूएई, जर्मनी सहित सभी नौ देशों के राष्ट्राध्यक्ष मौजूद थे. इसे एक पॉजिटिव प्रोजेक्ट की तरह लिया जा रहा है और इसकी जरूरत सभी देश समझ रहे हैं. कारण यह है कि पूरा विश्व यह देख चुका है कि अगर किसी एक क्षेत्र में संसाधनों की अधिकता हो तो उसके बाधित होने पर ज्यादा असर होता है. साथ ही इसके कारण वह देश अधिक शक्तिशाली होकर मनमानी पर उतर जाता है. इसी को देखते हुए सभी नेताओं ने इस प्रोजेक्ट का स्वागत किया. सभी चाहते हैं कि दुनिया के अलग-अलग क्षेत्रों में सप्लाई लाइंस और बाकी जरूरतों की कनेक्टिविटी मौजूद रहे.

बाइडेन और मोदी ने ये कहा

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इस घोषणा पर कहा कि यह बहुत बड़ी चीज है, जो कि अब संभव हुई है और इसे बहुत पॉजिटिविटी के साथ देख रहे हैं. फ्रांस के राष्ट्रपति ने कहा कि अब ये ऐलान हो गया है तो इसे जमीन पर उतारना हमारा काम है. पीएम मोदी ने कहा कि जब इस तरह से कनेक्टेड होकर व्यापार करेंगे तो एक-दूसरे की इज्जत भी करेंगे और देशों की संप्रभुता भी बनी रहेगी. उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही ये कॉरिडोर बन जाएगा और ये पहला भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा होगा. उम्मीद है कि इस प्रोजेक्ट में शामिल सभी देशों की अर्थव्यवस्था को काफी फायदा होगा.



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