बोरों के उत्पादन से जेब भी खुश और मन भी, रोज डेढ़ क्विंटल सब्जी की उपज, लागत से तीन गुना मुनाफा

 गुलशन सिंह/बक्सर. पारंपरिक खेती की तुलना में किसानों का नगदी फसल की खेती की ओर लगातार रूझान बढ़ा है. यही कारण है कि बक्सर में सब्जियों की खेती कर किसान न सिर्फ आर्थिक रूप से सशक्त बन रहे हैं, बल्कि कृषि के क्षेत्र में भी नए आयाम भी रच रहे हैं. डुमरांव अनुमंडल के किसान उमाशंकर चौधरी ने बताया कि दो दशक से सब्जी की खेती करते आ रहे हैं. उन्होंने बताया कि पूरा परिवार खेती-बाड़ी पर हीं निर्भर रहता है. उन्होंने बताया कि सीजन के अनुसार सब्जियों की खेती करते हैं. हर साल वह 10 एकड़ में केवल सब्जी की खेती करते हैं.

उमाशंकर चौधरी ने बताया कि कुछ अपनी खेत है बांकी खेती के लिए अन्य जमीन पट्टे पर लिए हुए है. उन्होंने बताया कि इस बार करीब एक एकड़ में बोरो की खेती की है. उन्होंने बताया कि पिछले साल अंकुर किस्म का बोरो उपजाए थे, लेकिन इस बार काशीनिधि बोरो उगाए है. उन्होंने बताया कि इस साल बोरो का फलन अच्छा है. जिसको बाजार में बिक्री कर लागत के तीन गुना अधिक मुनाफा कमा चुके हैं. उन्होंने बताया कि प्रतिदिन खेत से लगभग डेढ़ क्विंटल बोरो निकलता है.

मंडी में बोरो की डिमांड
एक एकड़ में इस बोरो को लगाने में 20 हजार का खर्च आया था, हालांकि, मंडी में बोरो की डिमांड अधिक होने के चलते किसानों को मुनाफा अच्छा हुआ है. उन्होंने बताया कि शुरुआती दिनों में जब खेत से बोरो निकलना शुरू हुआ तो उस समय बाजार में चार हजार प्रति क्विंटल की रेट से बिक्री हुई.

खर्च काटकर 70-80 हजार का मुनाफा
उमाशंकर चौधरी ने बताया कि शुरू के पंद्रह दिनों में हीं लागत 20 हजार निकलने के बाद फायदा भी होने लगा. किसान ने बताया कि इस समय मंडी में बोरो के रेट में गिरावट आई है फिर भी 20 रुपए प्रति किलो के भाव से बिक्री हो रही है. उन्होंने बताया कि अभी बोरो एक महीना और निकलेगा. कुल मिलाकर इस बार बोरो की खेती से खर्च और मेहनत काट कर 70 से 80 हजार का मुनाफा कमाने का अवसर मिला है.

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