बुंदेलखंड में पहली बार तबला वादन में इस शख्स को मिली ए ग्रेड की उपाधि, सपना पूरा करने में लग गए 25 साल

अनुज गौतम/ सागर. कहते हैं “पूत के पांव पालने में ही दिखाई देने लगते हैं”. और ऐसे ही एक पूत हैं सागर के राहुल स्वर्णकार, जिन्हें महज 6 साल की उम्र में संगीत से लगाव हो गया था. और 25 सालों की तपस्या, मेहनत और साधना का ऐसा फल मिला कि अब वह तबला वादन में ए ग्रेड उपाधि हासिल करने वाले बुंदेलखंड के पहले शख्स बन गए हैं.

शास्त्रीय संगीत की विधा में अभी तक सागर संभाग और बुंदेलखंड में यह मुकाम कोई हासिल नहीं कर पाया था. यह उपाधि मिलने के बाद वह देश में नेशनल लेवल के किसी भी कार्यक्रम में भाग ले हैं. पिछले कई वर्षों से राहुल ए ग्रेड में शामिल होने के लिए लगातार अभ्यास और मेहनत कर विभिन्न जगहों पर अपनी प्रस्तुति दे रहे थे. इस दौरान उन्होंने कई जगहों पर तबला वादन में महारत हासिल करने के लिए सालों मेहनत की है. यह उपलब्धि मिलने के बाद से ही जान पहचान वालों में खुशी को माहौल है तो वहीं डॉक्टर हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर नीलिमा गुप्ता ने भी उन्हें बधाई दी.

एशिया की सबसे बड़ी म्यूजिक यूनिवर्सिटी से किया मास्टर
बता दें कि सागर के गोपालगंज में रहने वाले डॉक्टर राहुल स्वर्णकार वर्तमान में विश्वविद्यालय की संगीत विभाग में सहायक अध्यापक हैं.वे अपने सफर को लेकर बताते हैं कि 6- 7 साल की उम्र में वह आदर्श संगीत महाविद्यालय जाया करते थे. जिसकी वजह से उन्हें म्यूजिक से लगाव हो गया धीरे-धीरे उनकी रुचि इसमें बढ़ती गई. कुछ साल बाद उन्होंने यहीं पर 8 साल का डिप्लोमा कोर्स किया. जिसमें वह प्रथम रहे. 12वीं के बाद सागर विश्वविद्यालय से संगीत से ही ग्रेजुएशन किया और फिर मास्टर डिग्री करने के लिए छत्तीसगढ़ की खैरागढ़ यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया. 2005 में वह पास आउट हुए और गोल्ड मेडलिस्ट रहे. खैरागढ़ यूनिवर्सिटी को एशिया की सबसे बड़ी म्यूजिक यूनिवर्सिटी भी कहा जाता है.

प्रसार भारती की ओर से मिला ए-ग्रेड
इसके बाद राहुल भोपाल आकाशवाणी से जुड़े. जहां 2009 में बी ग्रेड मिला . 2016 में बी ग्रेड हाय हुए इसमें अपडेट के लिए 2021 में उन्होंने छतरपुर आकाशवाणी से रिकॉर्डिंग कर दिल्ली भेजी. जिसमें देश भर से तबला वादन की प्रस्तुतियां शामिल हुईं थीं. राहुल स्वर्णकार को प्रसार भारती निदेशालय भारत सरकार के द्वारा तबला वादन में ए ग्रेड उपाधि देकर उनका उत्साहवर्धन किया गया है . उपाधि मिलने के बाद राहुल का पूरे परिवार में खुशी का माहौल है. उन्होंने कहा कि इतने दिनों तक जो साधना की थी उसका फल मिला है.

6 घंटे नियमित अभ्यास करते हैं राहुल
राहुल स्वर्णकार आज भी तबले पर करीब 6 घंटे अभ्यास रोजाना किया करते हैं. अब उनका 8 वर्ष यह बेटा भी इसी में अपने कदम आगे बढ़ा रहा है.साल 2013 में उनका चयन डॉ हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय की म्यूजिक डिपार्टमेंट में हुआ था. साल 2018 में फ्रांस में हुए फिमो फेस्टिवल में इंडिया से एकमात्र टीम इन्हीं के नेतृत्व में वहां पहुंची थी जिसने 7 दिनों तक अलग-अलग जगह पर शास्त्रीय संगीत की प्रस्तुतियां दी थी.

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