रितेश कुमार/समस्तीपुर: एग्रीकल्चर में रुचि रखने वाले छात्रों व किसानों के लिए अच्छी खबर है. अब डॉ. राजेंद्र कृषि विश्वविद्यालय में एडवांस्ड रिसर्च सेंटर खोला जाएगा. इसको लेकर यूनिवर्सिटी इस क्षेत्र में कार्य कर रही है. अब डिजिटल एग्रीकल्चर के क्षेत्र में विशेष रूप से कार्य करने की प्लानिंग है. इसको लेकर यूनिवर्सिटी में एडवांस्ड रिसर्च सेंटर खोला जाएगा, जिससे छात्र-छात्राओं को डिप्लोमा की डिग्री प्राप्त होगी.
किसान इसकी मदद से खेती करेंगे. डिजिटल एग्रीकल्चर की मदद से मोटा मुनाफा होगा. बता दें कि इस समय भारत दुनिया की सबसे बड़े फूड प्रोसेसर की लिस्ट में है, लेकिन बढ़ती आबादी का पेट भरने के लिए अब एग्रीकल्चर के क्षेत्र में डिजिटल क्रांति जरूरी है, इसलिए अब पूसा एग्रीकल्चर डिजिटल एग्रीकल्चर के क्षेत्र में तेजी से कार्य कर रहा है.
भारत का अनूठा सेंटर होगा
कुलपति डॉ. पीएस पांडेय ने बताया की विश्वविद्यालय में डिजिटल एग्रीकल्चर में एडवांस सेंटर बनाने जा रहा है, जो पूरे भारत में अपने आप में एक अंगूठा सेंटर होगा. डिजिटल एग्रीकल्चर के माध्यम से अनेक क्षेत्रों में काम किया जाएगा. जैसे हमारी योजना है कि हम डिप्लोमा वगैरा शुरू करें. जिससे कि डिजिटल एग्रीकल्चर में हमारे जो भी स्टूडेंट आते हैं, वे कैसे उसमें डिग्री ले सकें और नई-नई तकनीक जैसा की ऑगमेंटेड रियलिटी, वर्चुअल रियलिटी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सीख सकें.
जानिए क्या होगा फायदा
उन्होंने बताया की डिजिटल एग्रीकल्चर एक ऐसा क्षेत्र है, जिससे सभी लोगों को फायदा होगा. बताया जाता है की अगर कोई व्यक्ति बीज लेते हैं और उन तक बीज पहुंचा नहीं तो उसकी ट्रेकिंग पर डिजिटल एग्रीकल्चर के माध्यम से एड्रेस कर रहे हैं. इसको कैसे डेवलप किया जाए, इस पर काम चल रहा है. इसे सभी को ब्लॉक टेक्नोलॉजी कहते हैं. उन्होंने कहा कि जब इस तरह के हमारे विद्यार्थी निकलेंगे तो जो हम जो चीज देंगे, वही वहां डिलीवर होगा. एक क्वालिटी कंट्रोल करने के लिए भी हमारा डिजिटल एग्रीकल्चर का बहुत ही अच्छा प्रयोग होगा.
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FIRST PUBLISHED : September 10, 2023, 22:35 IST