भास्कर ठाकुर/सीतामढ़ी: बिहार में परंपरागत खेती को छोड़कर नगदी फसल की खेती की ओर किसानों का लगातार रुख बढ़ता जा रहा है. इसके पीछे की मुख्य वजह यह है कि परंपरागत खेती में अपेक्षा के अनुरूप मुनाफा नहीं होना है. वहीं नगदी फसल में किसानों को सीमित अवधि में लागत से कई गुना अधिक मुनाफा हो जाता है. खासकर सब्जी की खेती में किसानों अधिक मुनाफा हो रहा है. यही वजह है कि किसानों का झुकाव सब्जी की खेती पर अधिक है. इसी मर्म को समझते हुए सीतामढ़ी के अधखनी गांव के रहने वाले युवा किसान सुरेंद्र कुमार सब्जी की खेती कर 6 लोगों का परिवार चला रहे हैं. सुरेंद्र दो बीघा में अलग-अलग तरह की खेती कर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं.
दो बीघा में युवा किसान कर रहे हैं सब्जी की खेती
सुरेंद्र ने बताया कि शुरू से हीं खेती-बाड़ी से विशेष लगाव था. इसलिए नौकरी की तलाश में कहीं बाहर जाने के बजाए गांव में रहकर खेती को हीं चुना. वर्तमान में दो बीघा में सब्जी की खेती कर रहे हैं. जिसमें 10 कट्ठे में परवल, 10 कट्ठे में बैंगन, 3 से 4 कट्ठे में झिगुनी, 5 कट्ठे में घीया और 10 कट्ठे में भिंडी की खेती कर रहे हैं.
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उन्होंने बताया किपरवल और बैगन में कमाई अधिक है, क्योंकि बाजार में दोनों का रेट 40 रुपए प्रति किलो है. सुरेंद्र ने बताया कि वे अभी 27 साल के हैं. अपने बाबूजी के साथ खेत पर काम करने जाते थे. खेती से इतना लगाव था कि स्कूल से आने के बाद खेलने के बजाय खेत पर हीं आया करते थे. अपनी चाहत को हीं प्रोफेशन बना लिया.
परवल की खेती से हर माह कमा रहे हैं 60 से 70 हजार
युवा किसान सुरेंद्र ने बताया कि सब्जी की खेती में कमाई उपज पर निर्भर करता है. बताया की कमाई उपज के उपर होती है. विगत वर्ष 4 कट्ठे में परवल की खेती से हर माह 30 से 40 हजार कमाई. जबकि इस बार 10 कट्ठे में परवल की खेती की है तो 60 से 70 हजार रुपए हर माह कमाई हो जाती है.
परवल सीजनल फसल है. इसके अलावा भी सलोभर सिर्फ सब्जी की खेती करते है. जिससे हर माह 40 हजार से अधिक की कमाई हो जाती है. उन्होंने बताया कि अगर कोई किसान मौसम के हिसाब से खेती करता है तो बेहतर कमाई कर सकते हैं.
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Tags: Bihar News
FIRST PUBLISHED : September 04, 2023, 22:13 IST