पंजाब में ग्रामीण विकास और पंचायत विभाग के 2 वरिष्ठ IAS अधिकारी सस्पेंड

Two senior IAS Officers Suspend: पंजाब की मान सरकार ने ग्रामीण विकास और पंचायत विभाग के काम की देखरेख करने वाले दो वरिष्ठ आईएएस संस्पेड कर दिया है। इन दोनों अधिकारियों को विभाग में तकनीकी रूप से गलत निर्णय लेने के लिए निसंबित किया है। सरकार ने अधिकारी धीरेंद्र कुमार तिवारी और गुरप्रीत सिंह खैरा को सस्पेंड किया। दोनों अधिकारियों को सीएम मान के निर्देश के अनुसार सस्पेंड किया गया है।

ऐसा माना जा रहा है कि इन दोनों अधिकारों को इसलिए तिलंबित किया गया है क्योंकि चडीगढ़ हाई कोर्ट में सरकार को अपनी 10 अगस्त को जारी की गई पंचायत भंग करने वाली अधिसूचना को वापस लेना पड़ा। इस अधिसूचना के तहत पंजाब की 13,241 ग्राम पंचायतें, 153 ब्लॉक समितियां और 23 जिला परिषदेंव से भंग कर दी जाती। लेकिन गुरुवार को हाई कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश रवि शंकर झा की अध्यक्षता वाली एचसी डिवीजन बेंच ने इस मामले की PIL पर सुनवाई की जिसमें पंजाब के महाधिवक्ता विनोद घई ने सरकार की तरफ से कहा कि 10 अगस्त की अधिसूचना वापस ले ली जाएगी।

कोर्ट ने महाधिवक्ता विनोद घई का बयान दर्ज करने के बाद राज्य में पंचायतों को भंग करने की अधिशूचना को चुनौती देने वाली याचिकाओं का निपटारा कर दिया।

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बात दें कि धीरेंद्र कुमार तिवारी (1994 बैच) जल आपूर्ति एवं स्वच्छता के प्रमुख सचिव होने के साथ-साथ ग्रामीण विकास एवं पंचायत के वित्तीय आयुक्त के पद पर भी तैनात थे। वहीं गुरप्रीत सिंह खैरा (2009 बैच) ग्रामीण विकास एवं पंचायत के निदेशक और पदेन विशेष सचिव थे। इसके साथ ही वो महात्मा गांधी सरबत विकास योजना के मिशन निदेशक भी हैं।

भुल्लर ने कहा कि पंचायत चुनाव कराने की एक बहुत लंबी और बोझिल प्रक्रिया है। इसमे मतदाता सूची, वार्डों में सुधार करना होगा और महिलाओं के लिए 59 प्रतिशत आरक्षण सुनिश्चित करना होगा आदि। यही कारण है कि हमने (पंचायत) चुनावों की जल्दी घोषणा की, लेकिन बाढ़ के कारण अधिकारियों और कर्मचारियों के व्यस्त होने के कारण ऑपरेशन रोक दिया गया था। राहत प्रयासों में हमने हाई कोर्ट को सूचित कर दिया है कि अधिसूचना वापस ले ली जाएगी। अब इस प्रक्रिया में तकनीकी खामियों को दूर किया जाएगा और नई अधिसूचना जारी की जाएगी।

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