मो. महमूद आलम/नालंदा. बिहार के नालंदा के किसान इन दिनों पारंपरिक खेती छोड़ जैविक खेती की ओर बढ़ कर नई इबारत लिख रहे हैं. पूरी दुनिया में शिक्षा की अलख जगाने वाला नालंदा अब आधुनिक युग में नई तकनीक के सहारे कृषि के क्षेत्र में मिसाल पेश कर रहा है. इसी कड़ी में जिले के कतरीसराय प्रखंड अंतर्गत क्षेत्र दरवेशपुरा गांव निवासी नीतीश कुमार जिले के किसानों के लिए नज़ीर बने. उन्हें ‘क्लाइमेट चैम्पियन किसान सम्मान’ से सम्मानित किया गया है. राजधानी पटना में आयोजित सम्मान समारोह में जनता दल युनाइटेड (जेडीयू) के अध्यक्ष राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह ने उन्हें सम्मानित किया.
इनके साथ ही गया, मधुबनी, बेतिया व अन्य जिलों के किसानों को भी सम्मान मिला. नालंदा ज़िले से यह सम्मान पाने वाले नीतीश कुमार इकलौते किसान हैं. नौकरी छोड़ कर किसानी कर रहे नीतीश कुमार की पहचान आज बिहार ही नहीं, देश स्तर पर है. घाटे के कारण खेती से दूर हो रहे किसानों को इन्होंने नई राह दिखाया है. जैविक विधि से खेती कर इन्होंने वर्ष 2012 में आलू के उत्पादन में विश्व रिकार्ड स्थापित किया था. 729 क्विंटल प्रति हेक्टेयर आलू का उत्पादन किया था. इससे पहले नीतीश ने वर्ष 2011 में 196 क्विंटल प्रति हेक्टेयर धान का उत्पादन का कर चीन का रिकार्ड तोड़ा था.
नीतीश कुमार ने पढ़ाई के बाद घर के आर्थिक संकट को दूर करने के लिए दो साल तक दिल्ली में सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी की थी. क्योंकि वो एनसीसी ट्रेंड थे, लेकिन उससे भी कुछ ज़्यादा बदलाव नहीं आया तो रेडियो के जरिए किसानों के लिए जारी कार्यक्रम के सहारे सरकारी अनुदान पर वापस घर लौट आए और मौसमी खेती, सब्ज़ी और अनाज की करना शुरू किया. क्योंकि उनके पास कुछ पुश्तैनी ज़मीन गांव में थी. धीरे-धीरे उनका मेहनत रंग लाई और कई तरह के मौसमी चीज़ों के साथ खेत की उर्वरा शक्ति बढ़ाने के लिए कंपोस्ट भी बनाते हैं.
आज नीतीश कुमार जिले के किसानों के लिए प्रेरणा का श्रोत बन चुके हैं. उनके दिए प्रशिक्षण के कई किसान कम खर्च में दोगुना मुनाफा कमा रहे हैं, साथ ही, उनके आय में भी दिन-प्रतिदिन बढ़ोतरी हो रही है.
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FIRST PUBLISHED : September 09, 2023, 09:08 IST