विशाल झा/ नोएडा. प्रधानमंत्री मोदी के आह्वान के बाद भारत में डिजिटल इंडिया (Digital India ) मुहिम को लोगों ने पूरी जिम्मेदारी के साथ अपनाया. डिजिटल इंडिया बाजारों में खरीदारी तक ही सिमित नहीं रहा,बल्कि एजुकेशन सेक्टर में भी तेजी से अपनी जगह बनाने में कामयाब हो गया है.
आज गांव के कंपोजिट विद्यालय हो या शहर के शाइनिंग ग्लास बॉडी से बने हुए मॉडर्न स्कूल. दोनों में ही बच्चों को डिजिटल एजुकेशन से जोड़ने का काम किया जा रहा है. बच्चे ब्लैकबोर्ड की जगह अब स्मार्ट बोर्ड से अपनी पढ़ाई कर रहें है. डिजिटल एजुकेशन की जरुरत का एहसास कोविड महामारी के दौरान हुआ था जब स्कूल -कॉलेज बंद थे और छात्र अपने मोबाइल के जरिए ही पढ़ाई कर रहें थे.
एमपावर्ड एड में डिजिटल एजुकेशन की चर्चा
नॉएडा के महा-ऋषि कॉलेज में एक कांफ्रेंस एमपावर्ड एड का आयोजन किया गया. जिसमें देशभर के विभिन्न प्रिंसिपल को सम्मानित किया गया और उनसे भारत के बदलते डिजिटल स्वरुप पर चर्चा की गई. एमपावर्ड एड कार्यक्रम में सिविल -20 भी शामिल रही जो ‘जी -20’ के अंतर्गत कार्य करती है.
डिजिटल एजुकेशन ही भारत का भविष्य
एडु क्लाउड के फाउंडर स्पर्श गर्गने कहा कि हमारा मकसद है शिक्षा के डिजिटलाइजेशन होने पर चर्चा करना.कोई भी इंडस्ट्री डिजिटल होने के बाद ही ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंच पाती है. ऐसे में स्कूल, बच्चे और फैकल्टी को भी अपडेट करना होगा. डिजिटल एजुकेशन ही भारत का भविष्य है. कुछ लोग आर्थिक तंगी के कारण स्मार्ट टैबलेट, स्मार्ट फोन से वंचित रह जाते है. ऐसे में उन बच्चों की मदद करना भी हम सभी का फर्ज है.
स्मार्ट क्लास है छात्रों का गुरुकुल
गाजियाबाद के एम.एम. एच कॉलेज के प्रधानाचार्य पीयूष शर्मा ने कहा कि भारत में डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए केंद्र -राज्य सरकार और कई सारी संस्थाएं भी काम कर रही है. डिजिटल एजुकेशन से ना केवल छात्र जल्दी सीख रहा है बल्कि स्टूडेंट का समय भी बच रहा है. अब स्मार्ट क्लास ही छात्रों के लिए गुरुकुल है.
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FIRST PUBLISHED : September 08, 2023, 21:37 IST