रुपांशु चौधरी/हजारीबाग. बारिश का मौसम आते ही मानसून से संबंधित बीमारियों का प्रकोप शुरू हो जाता है. साथ ही इस मौसम में कई प्रकार के चर्म रोग भी फैलने लगता है. ऐसे में जंगलों में पाए जाने कई औषधीय गुणों में भरपूर चिरायता भी काफी कारगार साबित हो सकता है. हजारीबाग जिले में 16 प्रखंडों के जंगलों में ये चिरायता भारी मात्रा मिलते है.
चिरायता एक औषधीय पौधा है जो प्रमुख रूप से भारतीय और आयुर्वेदिक चिकित्सा में प्रयोग होता है. चिरायता में उच्च मात्रा में बायोएक्टिव और सुगन्धित प्रभावी तत्व होते हैं जो इसे एक प्रमुख आयुर्वेदिक औषधि बनाते हैं. इसे पेट रोगों, रक्त प्रवाह संबंधी समस्याओं, ज्वर, त्वचा समस्याओं, आंत्र प्रणाली की सुरक्षा में और अन्य विभिन्न रोगों के इलाज में उपयोग किया जाता है. चिरायता की तासीर ठंडी होती है. यह वात और पित्त दोष को शांत करने में मददगार होती है. इसका सेवन करने से शरीर की गर्मी कम होती है और यह शरीर को शीतलता प्रदान करता है. चिरायता में शीतल गुणों की मौजूदगी के कारण यह गर्मी के मौसम में लाभकारी होता है. यह शरीर को ताजगी और चुस्ती का अनुभव कराता है.
कितने दिन पीना चाहिए चिरायता ?
हजारीबाग के डॉक्टर गली में स्थित आयुर्वेद के डॉक्टर राजेश ने बताया कि कि चिरायता काफी कारगार जड़ी है. इसका स्वाद में कड़वा होना ही इसका सबसे बड़ा गुण धर्म है. इससे खाज खुजली मौसमी बीमारियो में काफी राहत मिलता है. सामान्य रूप से, चिरायता का पानी साप्ताहिक या चाहे तो मासिक अवधि में लिया जा सकता है. लेकिन यह अवधि व्यक्तिगत और बीमारी के समय के अनुसार बदल सकती है. चिरायता पीने की अवधि व्यक्ति के लक्ष्य और आवश्यकताओं पर निर्भर करती है. इसलिए, आपको इसे लेने के लिए एक चिकित्सक या आयुर्वेदिक विशेषज्ञ से परामर्श करना चाहिए.
ग्रामीण अर्थव्यस्था में अहम भूमिका
इसके साथ ही ये चिरायता जंगलों में रहने वाले लोगो के अर्थव्यस्था में अहम भूमिका निभाता है. जंगलों में निवास करने वाले लोग इस तोड़ कर बाजारों में बेचा करतें है. झारखंड सरकार की योजना जेएसएलपीएस के माध्यम से भी ग्रामीण महिलाएं इसका व्यापार करती है.
हजारीबाग में यहां मिलेगा चिरायता
हजारीबाग के जिला समाहरणालय में स्तिथ पलाश मार्ट में पैक चिरायता बेचा जाता है. पलाश मार्ट की प्रबंधक नीलिमा बताती है कि पलाश मार्ट में बिकने वाले चिरायता को आस पास के प्रखंडों में सखी दीदी समूह के द्वारा चल रहे लघु उद्योग का प्रोडक्ट है. पूरे जिले में कई ऐसे सखी दीदी का समूह है जो इस प्रकार के उत्पाद बनाते है. फिर पलाश मार्ट के माध्यम से हमलोग उसे आगे ग्राहकों को बेचते है. कुछ सखी दीदी समूह खुद से जंगल से बीन कर इसे लाती है. वहीं कुछ समूह इसे आस पास के लोगो से खरीद कर पैक कर बेचते है. अभी स्टोर में 50 ग्राम के पैकेज का दाम 40 रुपए है.
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FIRST PUBLISHED : September 03, 2023, 13:37 IST