अभी तक मध्यप्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया के सात बड़े समर्थक नेता पार्टी छोड़ चुके हैं। इसके साथ ही कुछ लोगों को लेकर अटकलें भी तेज हैं। आने वाले दिनों में ये लोग भी टिकट न मिलने की स्थिति पर पाला बदल सकते हैं। ऐसे में सवाल यह भी उठ रहे हैं कि क्या बीजेपी में ज्योतिरादित्य सिंधिया का क्रेज कम हो रहा है। दूसरा सवाल यह भी है कि तीन साल पहले सिंधिया के साथ आए लोगों का उन पर से भरोसा उठ रहा है। बीजेपी ने अपनी पहली सूची में ही इरादे स्पष्ट कर दिए हैं कि हारने वाले लोगों को टिकट नहीं मिलेगा।
गोहद से ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक रणवीर जाटव का टिकट कट चुका है। वहीं, अभी तक ज्योतिरादित्य सिंधिया के कुल सात लोग साथ छोड़ चुके हैं। इनमें सबसे अधिक ग्वालियर-चंबल इलाके के लोग हैं। इसके साथ ही मालवा-निमाड़ के क्षेत्र में भी भगदड़ की शुरुआत हो गई है।
इनलोगों ने बदला है पाला
1. ज्योतिरादित्य सिंधिया फैंस क्लब के जिला अध्यक्ष गगन दीक्षित ने बीजेपी ने छोड़ दिया है। वह रायसेन जिले से आते थे। रायसेन के सांची विधानसभा क्षेत्र से स्वास्थ्य मंत्री प्रभुराम चौधरी विधायक हैं। गगन ने फिर से घर वापसी कर ली है। वह ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ ही पार्टी में आए थे।
2. राकेश गुप्ता ने भी चुनाव से पहले पाला बदल रहा है। वह शिवपुरी जिले में जिला उपाध्यक्ष थे। ज्योतिरादित्य सिंधिया के करीबियों में शुमार थे। महाराज से भरोसा टूट गया और घर वापसी कर ली है।
3. बैजनाथ यादव गुना-शिवपुरी में ज्योतिरादित्य सिंधिया खेमे के अहम नेता था। उनकी पत्नी शिवपुरी जिला पंचायत की अध्यक्ष रही हैं। शिवपुरी में बैजनाथ यादव का दबदबा था। बीजेपी में वजूद बनाने में सफल नहीं हो रहे थे। इसके बाद उन्होंने जून में पाला बदल लिया। जून के महीने में 400 गाड़ियों के काफिले के साथ आकर कांग्रेस ज्वाइन कर ली।
4. समंदर पटेल मालवा-निमाड़ में कद्दावर नेता रहे हैं। सिंधिया के समर्थक माने जाते थे। आगे की संभावना कम दिख रही है। ऐसे में समय रहते उन्होंने पाला बदल लिया है। समंदर पटेल कांग्रेस में शामिल हो गए हैं। वह भोपाल सैकड़ों गाड़ियों के साथ शामिल होने आए थे।
5. जयपाल सिंह यादव भी सिंधिया के करीबी माने जाते हैं। वह चंदेरी से चुनाव लड़ चुके हैं। बीजेपी से मोहभंग हो गया। इसके बाद उन्होंने कांग्रेस का दामन थाम लिया है।
6. रघुराज धाकड़ भी सिंधिया खेमे के कद्दावर नेता रहे हैं। पूछपरख घटते ही उन्होंने पाला बदल लिया है। अब उन्होंने भी कांग्रेस का दामन थाम लिया है।
7. यदुराज सिंह यादव भी ज्योतिरादित्य सिंधिया के करीबी माने जाते थे। उन्होंने भी पाला बदल लिया है। रघुराज धाकड़ एक समय में अशोक नगर में सिंधिया के चुनावी अभियान की कमान संभालते थे। अब उन्होंने कांग्रेस में घर वापसी कर ली है।
कुछ और नेताओं की हो सकती है वापसी
वहीं, सबसे ज्यादा सिंधिया खेमे में टूट के आसार ग्वालियर-चंबल इलाके में है। उनके कुछ समर्थकों के टिकट कटने के आसार हैं। ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि वे लोग महाराज का साथ छोड़ सकते हैं। उपचुनाव हारे रणवीर जाटव का टिकट कट गया है। हालांकि टिकट कटने के बाद वह खामोश हैं।
ज्योतिरादित्य सिंधिया इस पर पहले कह चुके हैं कि कोई तेरा मेरा नहीं है। सभी बीजेपी के हैं। इसके साथ ही चुनाव जीतने वाले लोगों को ही टिकट मिलेगा। सिंधिया खेमे में भगदड़ पर केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर कह चुके हैं कि ज्योतिरादित्य सिंधिया अब हमारे नेता हैं।