जिले में 3 साल में रकबे को 28 हजार हेक्टर से बढ़ाकर 35 हजार हेक्टेयर किया

दुर्गेश सिंह राजपूत/नर्मदापुरम. जिले में सोयाबीन के ज्यादा उत्पादन के लिए प्रयास किए जा रहे हैं. इस बार खरीफ सीजन में धान के रकबे को घटाकर सोयाबीन का रकबा 35,000 हेक्टेयर किया गया है. वर्ष 2019 में सोयाबीन का रकबा जिले में 76,980 हेक्टेयर था. इसमें 70,500 मेट्रिक टन का उत्पादन लिया गया था. इसके बाद 2020 में सोयाबीन का रकबा घटकर 71,250 एवं उत्पादन भी गिरकर 8,550 मेट्रिक टन पर आ गया था. इसके कारण किसानों को भारी आर्थिक नुकसान झेलना पड़ा था. फिर 2021 में रकबा एवं उत्पादन व उत्पादकता में सुधार आया और फिर 2023 से किसानों को कीट रोधी सोयाबीन बीज की किस्म उपलब्ध हुई है.

धान के रकबे को घटाकर सोयाबीन के रकबे को बढ़ाया गया है. बता दें कि बीते 3 साल की ही बात करें तो सोयाबीन के रकबे में 7000 हेक्टेयर की बढ़ोतरी की गई है. बारिश के चलते सोयाबीन की फसल की स्थिति बेहतर है. किसान खेतों में पानी की निकासी के साथ ही फसल की देखभाल में जुटे हुए हैं.

5 साल पहले बंपर उत्पादन
बीते 5 साल में किसानों के सोयाबीन के प्रति रुझान में बदलाव के साथ ही कृषि अनुसंधान केंद्र और जवाहर नेहरू कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा नए बीज के विकास का महत्वपूर्ण योगदान है. इससे किसानों को नए और कीटों से सुरक्षित सोयाबीन की प्राप्ति की सुविधा हो रही है, जिससे उनकी मानदेय में वृद्धि हो रही है और कृषि उत्पादन में सुधार हो रहा है.

दो साल बाद अधिक उत्पादन के आसार
उप कृषि संचालक नर्मदा पुरम जेआर हेड़ाउ ने बताया कि इस बार की बारिश अच्छी है और सोयाबीन के कीट रोधी बीजों की उपलब्धता के कारण सोयाबीन के रखवे को 35,000 हेक्टेयर तक बढ़ा दिया गया है. वर्तमान में फसल की स्थिति भी बेहतर है और मौसम बारिश के अनुकूल है. इससे आशा है कि 2 साल के बाद इस सीज़न में ज्यादा उत्पादन होगा. इसके साथ ही, किसानों को सोयाबीन के बीजों को 3 साल में बदलने की योजना बनाने की जरुरत है, जिससे सोयाबीन पर पीला मोजक जैसे रोग का प्रकोप कम होगा और किसानों को अधिक लाभ होगा.

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