नई दिल्ली:
पेरिस समझौते के तहत जलवायु परिवर्तन संकट का हल करने में वैश्विक महत्वाकांक्षा और कार्यान्वयन में कमी को भारत की अध्यक्षता में जी20 देशों ने शनिवार को स्वीकार किया. समूह ने सभी देशों से अपने राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित लक्ष्यों (एनडीसी) को पेरिस समझौते के अनुरूप करने का आह्वान किया है, ताकि 2023 के अंत तक उनकी अनूठी राष्ट्रीय परिस्थितियों के तहत उनके 2030 के लिए लक्ष्यों पर पुनर्विचार किया जा सके और इन्हें मजबूत किया जा सके.
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पीएम मोदी ने धनी राष्ट्रों को दिखाया आईना
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जलवायु परिवर्तन से निपटने और टिकाऊ ऊर्जा प्रणालियों में परिवर्तन के वित्तपोषण के लिए वैश्विक सहयोग की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया. जी20 नेताओं के शिखर सम्मेलन के पहले सत्र में मोदी ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए 21वीं सदी की दुनिया में समावेशी ऊर्जा की ओर बढ़ने के लिए महत्वपूर्ण वित्तीय आवश्यकताओं को रेखांकित किया. उन्होंने कहा, ‘जलवायु परिवर्तन की चुनौती को ध्यान में रखते हुए, ऊर्जा के स्रोतों में बदलाव 21वीं सदी की दुनिया की एक महत्वपूर्ण आवश्यकता है. समावेशी ऊर्जा की ओर बढ़ने के लिए अरबों अमेरिकी डॉलर की आवश्यकता है. स्वाभाविक रूप से, विकसित देश इसमें बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.’
प्रधानमंत्री मोदी ने जलवायु वित्त के वास्ते 100 अरब अमेरिकी डॉलर की प्रतिबद्धता को पूरा करने की इच्छा के लिए विकसित देशों की सराहना की. साल 2009 में कोपेनहेगन संयुक्त राष्ट्र जलवायु वार्ता में विकसित देशों ने जलवायु परिवर्तन से निपटने में विकासशील देशों का समर्थन करने के लिए 2020 तक प्रति वर्ष 100 अरब अमेरिकी डॉलर मुहैया करने की प्रतिबद्धता जताई थी. हालांकि, धनी राष्ट्र इस प्रतिबद्धता को पूरा करने में बार-बार विफल रहे.
पेट्रोल के साथ इथेनॉल मिश्रण की अपील
प्रधानमंत्री मोदी ने टिकाऊ और हरित विकास के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हुए जी20 द्वारा ‘हरित विकास समझौता’ अपनाए जाने की भी सराहना की. उन्होंने वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन की शुरुआत की भी घोषणा की और वैश्विक स्तर पर पेट्रोल के साथ इथेनॉल मिश्रण को 20 प्रतिशत तक ले जाने की अपील के साथ जी20 देशों से इस पहल में शामिल होने का आग्रह किया. उन्होंने वैकल्पिक सम्मिश्रण विकसित करने में सहयोग की आवश्यकता पर जोर दिया, जो जलवायु सुरक्षा के मुद्दे का समाधान करते हुए स्थिर ऊर्जा आपूर्ति सुनिश्चित करेगा. यह उल्लेख करते हुए कि ‘कार्बन क्रेडिट’ पर चर्चा मुख्य रूप से नकारात्मक दृष्टिकोण के साथ दशकों से जारी है.
पीएम मोदी ने ‘ग्रीन क्रेडिट’ कहे जाने वाले अधिक सकारात्मक दृष्टिकोण की ओर बढ़ने का प्रस्ताव किया. उन्होंने जी20 देशों से सकारात्मक पर्यावरणीय प्रयासों को बढ़ावा देने और रचनात्मक पहल को प्रोत्साहित करने के लिए ‘ग्रीन क्रेडिट पहल’ पर काम शुरू करने का आग्रह किया. भारत ने अपने पर्यावरणीय कार्यों के लिए व्यक्तियों, निजी क्षेत्रों, लघु उद्योगों, सहकारी समितियों, वानिकी उद्यमों और किसान-उत्पादन संगठनों द्वारा किए गए स्वैच्छिक पर्यावरणीय कार्यों को प्रोत्साहित करने के वास्ते ‘ग्रीन क्रेडिट प्रोग्राम’ तैयार किया है.
80 प्रतिशत कार्बन उत्सर्जन करते हैं ये देश
जी20 घोषणा-पत्र में जलवायु परिवर्तन से निपटने के वैश्विक प्रयासों की वर्तमान स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा गया, ‘‘हम चिंता जताते हुए कहते हैं कि जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए वैश्विक महत्वाकांक्षा और कार्यान्वयन पेरिस समझौते के तापमान लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अपर्याप्त है, जिसमें वैश्विक औसत तापमान में वृद्धि को पूर्व-औद्योगिक स्तर से 2 डिग्री सेल्सियस से नीचे रखने और तापमान वृद्धि को औद्योगीकरण से पूर्व के स्तर से 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने के प्रयास करना शामिल है.”
दुनिया के 85 प्रतिशत सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का योगदान देने वाले और 80 प्रतिशत कार्बन उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार जी20 देशों ने एक एकीकृत और समावेशी दृष्टिकोण का समर्थन कर कम कार्बन उत्सर्जन, जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने और पर्यावरणीय रूप से टिकाऊ विकास उपायों को अपनाने का संकल्प लिया. उन्होंने संकल्प लिया, ‘‘हम विकास और जलवायु चुनौतियों से निपटने, सतत विकास के लिए जीवन शैली (लाइफ) को बढ़ावा देने और जैव विविधता, जंगलों और महासागरों के संरक्षण के लिए अपने प्रयासों में तत्काल तेजी लाएंगे.”