छत्तीसगढ़: गांव की महिलाएं बना रहीं 8000 राखियां, होममेड राखी को मिला बाजार

रामकुमार नायक/महासमुंद: हिंदू धर्म में भाई बहन के प्रेम और रक्षा का प्रतीक रक्षाबंधन का त्योहार हर साल सावन की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है. इस दिन बहन अपने भाई को तिलक करके उसकी लंबी उम्र की कामना करती है. इस बार भाइयों के हाथों में छत्तीसगढ़ की महिलाओं द्वारा तैयार स्नेह की डोर सजने वाली है.

दरअसल, छत्तीसगढ़ में ग्रामीणों को रोजगार और आजीविका से जोड़ने के लिए एक महत्वपूर्ण पहल के रूप में महात्मा गांधी रूरल इंडस्ट्रियल पार्क यानी रीपा के लगातार स्थापना की जा रही है. रीपा में स्थानीय स्तर पर काम मिलने से बड़ी संख्या में महिलाएं भी इससे उत्सुकता के साथ जुड़ रही हैं और आर्थिक रूप से उन्हें संबल मिला है. कोरिया जिले के बैकुंठपुर जनपद के ग्राम मझगवां में स्थापित रीपा में कार्यरत महिलाएं इस बार भी राखी बनाने में जुटी हैं.

रीपा में तैयार स्नेह की यह डोर भाइयों की कलाई पर सजेगी. स्व-सहायता समूह की महिलाओं द्वारा इस बार करीब 8 हजार राखियां तैयार की जा रही हैं. समूह से तैयार राखियों को स्थानीय व्यापारियों द्वारा हाथों-हाथ खरीद लिया जाता है और इस बिक्री से प्राप्त राशि को महिलाएं आपस में बांट लेती हैं. महिला एवं बाल विकास विभाग, कोरिया के लिए भी समूह की महिलाएं एक हजार राखियां तैयार कर रही हैं.

राखी तैयार कर रही सविता राजवाड़े बताती हैं कि बहुत ही शिद्दत के साथ वे राखियां तैयार कर रही हैं. कोरोना के कारण वर्ष 2021 में राखियां तैयार नहीं की गई थी, लेकिन विगत वर्ष से पुनः राखियां बनाई जा रही हैं. स्थानीय व्यापारियों द्वारा हमारे द्वारा तैयार राखियों को बहुत पसंद किया जाता है. मांग को देखते हुए हमने पिछले 15 दिनों से राखी बनाने का काम शुरू कर दिया है.

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FIRST PUBLISHED : August 23, 2023, 23:49 IST

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