घड़ी वाले बाबा; उज्जैन में यहां से गुजरने पर दिन-रात आती है ‘टिक-टिक’ की आवाज

शुभम मरमट/उज्जैन. बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन में कई ऐसे मंदिर हैं, जिनकी अपनी अलग ही मान्यता है. उज्जैन से 40 किलोमीटर दूर महिदपुर और उन्हेल के बीच सड़क किनारे घड़ी वाले बाबा का मंदिर है. मान्यता है कि यहां आने वालों का वक्त बदल जाता है. भक्त यहां आकर मन्नत मांगते हैं. पूरा होने पर यहां पर दीवार घड़ी चढ़ाते हैं.

बीते दो साल में यह मंदिर इतना प्रसिद्ध हो गया कि अब 4 बाई 6 फीट के मंदिर में घड़ी रखने की जगह नहीं बची. इसलिए भक्तों ने पेड़ पर ही घड़ियां टांगनी शुरू कर दी. जब लोग इस रास्ते से गुजरते हैं तो उन्हें दिन रात टिक-टिक की आवाज सुनाई देती है. श्रद्धालु पवन आंजना ने बताया कि एक दशक से ज्यादा वक्त से यहां पर मंदिर में घड़ियां चढ़ाई जा रही हैं. कहा कि इसके पीछे की मान्यता पर श्रद्धालुओं का अटूट विश्वास है.

समय खराब होने पर भी चढ़ाते हैं घड़ी
शिप्रा नदी के नजदीक स्थित इस गांव की प्रसिद्धि यहां के छोटे मंदिर की वजह से देश और दुनिया भर में है. यहां स्थित सगस भैरव का मंदिर न सिर्फ इलाके के हजारों लोगों की आस्था का केंद्र है, बल्कि यहां पर दूर-दूर से श्रद्धालु इस उम्मीद के साथ आते हैं कि यहां पर घड़ी चढ़ाने से उनका सही वक्त शुरू हो जाएगा. कई भक्तों की यह भी मान्यता है कि उनका वक्त यही से बदला है.

कभी मंदिर से चोरी नहीं हुई घड़ी
ग्रामीणों ने बताया कि पूर्णिमा और रविवार को यहा काफी भीड़ होती है. गांव के लोगों का कहना है कि कितनी भी कीमती घड़ी हो, कभी भी मंदिर से कोई घड़ी चोरी नहीं हुई. मंदिर में कोई पुजारी भी नहीं है. गांव के लोगों का मानना है कि सगस महाराज के इस स्थान पर हर मनोकामना पूर्ण होती है.

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