गोगा नवमी पर बाबा महाकाल प्रभु श्रीराम पर आधारित छड़ियां रही आकर्षण केंद्र

प्रवीण मिश्रा/खंडवा: हमारा देश विविधताओं का देश है और यह विविधता त्योहारों में भी देखने को मिलती है. आमतौर पर होली, दिवाली और रक्षाबंधन जैसे बड़े त्योहारों के बारे में सभी जानते हैं, लेकिन कुछ ऐसे त्योहार भी होते हैं जो सीमित क्षेत्र और समुदाय के बीच मनाए जाते हैं. गोगा नवमी भी एक ऐसा त्योहार है, जिसके बारे में कम ही लोग जानते हैं. इस त्योहार को मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है, जिसमें आकर्षक रौशनी से सजी श्री छड़ियों का कारवां बीच बारिश के बीच निकालना शुरू हुआ.

इस दौरान, शहर के विभिन्न स्थानों से निकली 13 से अधिक छड़ियां नगर भ्रमण किया, और यह कार्यक्रम देर रात तक चलता रहा. इस अद्वितीय प्रक्रिया के दौरान, बड़ी संख्या में वाल्मिकी बंधुओं के साथ समाज के अन्य श्रद्धालुओं ने मिलकर सामाजिक समरसता का संदेश दिया. समाज में जगह-जगह पर श्री छड़ियों का स्वागत किया गया और स्वागत मंचों पर फूलों की बरसात की गई. यह त्यौहार पूरे शहर में 14 स्थानों से निकली छड़ियों के कारवां के साथ मनाया गया, जिनमें मुख्य रूप से छड़ियों में बाबा महाकाल का मंदिर, केदारनाथ मंदिर, और प्रभु श्री राम पर आधारित छड़ियां थीं, जो सभी का आकर्षण बने. सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए, इस समारोह के दौरान भारी भीड़ और पुलिसकर्मियों की बड़ी संख्या तैनात की गई. श्री छड़ियों का चल समारोह देर रात 1 बजे के बाद तक जारी रहा, और इसे देखने के लिए खंडवा और आसपास के क्षेत्रों से बड़ी संख्या में लोग पहुंचे.

कौन थे गोगा देव जी ?
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, गोगा देवजी का जन्म राजस्थान के चौहान वंश में हुआ था. इनके पिता का नाम ठाकुर जेवरसिंह और माता का नाम बाछल कंवर था. गोगाजी गुरु गोरखनाथ के परम शिष्य भी थे. स्थानीय लोग इन्हें गोगाजी, गुग्गा वीर, और जाहर वीर नामों से पुकारते हैं.

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