शादाब चौधरी/मंदसौर. शहर के बीपीएल चौराहे पर साल 2014 में यातायात व्यवस्थाओं को सुधारने के लिए ट्रैफिक सिग्नल लगाए गए थे. नगर पालिका और यातायात महकमे को इन सिग्नलों को संभालने की जिम्मेदारी सौंप गई थी, लेकिन जिम्मेदार ना तो सिग्नल का ध्यान रख पाए हैं और ना ही इन्हें सुचारू रूप से चलाने में सक्षम हो पाए हैं. हालत यह है कि पिछले करीब 7 साल से यह सिग्नल बंद पड़े हैं तो शहर की ट्रैफिक व्यवस्था चरमरा रही है.
साल 2014 में विधायक निधि की सहायता से सौर ऊर्जा के द्वारा चलने वाले ट्रैफिक सिग्नल मंदसौर शहर के अति व्यस्ततम चौराहों में से एक बीपीएल चौराहे पर ट्रैफिक व्यवस्था को सुधारने के लिए लगाए गए थे. इन्हें लगाए जाने के बाद नगर का यातायात भी पटरी पर आने लगा था और इन सिग्नलों को देख रेख करने की जिम्मेदारी यातायात पुलिस और नगर पालिका को सौंप गई थी, लेकिन जिम्मेदारों की लापरवाही से यह ट्रैफिक सिग्नल साल 2016 में बंद हो गए और समय गुजरने के साथ सिग्नल भी गुमनामी के साए में चले गए और फिलहाल इन सिग्नलों पर किसी का ध्यान नहीं है.
बड़े शहरों की तर्ज पर लगाए गए थे सिग्नल
मिली जानकारी के मुताबिक मंदसौर शहर भी बड़े शहरों में शुमार हो इसलिए ऑटोमेटिक यातायात सिग्नल लगाए गए थे. करीब 2 साल इन्हें सुचारू रूप से चलाया भी गया और साथ ही यातायात पुलिस भी यहां तैनात रहती थी, लेकिन जैसे ही इन सिग्नलों को मेंटेनेंस की जरूरत पड़ी तो जिम्मेदारों ने मुंह मोड़ लिया फिलहाल यह सिग्नल अपनी बदहाली के आंसू बहा रहे हैं. मंदसौर शहर के अति व्यस्ततम चौराहों में से एक बीपीएल चौराहे पर वाहनों की रफ्तार को धीमा करने के लिए चौराहे के चारों ओर स्पीड ब्रेकर भी मौजूद नहीं है. वाहनों का तेज रफ्तार के साथ गुजरना कहीं न कहीं दुर्घटनाओं को दावत दे रहा है साथ ही यह एक ऐसा पॉइंट है जहां आए दिन दुर्घटनाएं होना आम बात है. मंदौसर यातायात थाना प्रभारी शैलेंद्र सिंह चौहान ने बताया कि सिग्नल के मेंटेनर हम नहीं है हमारे रिकॉर्ड में भी सिग्नल का ज़िक्र नही है. सिग्नल का मेंटेनेंस नगर निगम या नगर पालिका के द्वारा करवाया जाता है. नगर पालिका से बात करके सिग्नल चालू करवाने का प्रयास करेंगे.
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FIRST PUBLISHED : September 10, 2023, 17:17 IST