गया में पहली बार श्रद्धालुओं को मिलेगी गंगाजल, पितृ पक्ष की तैयारियां शुरू

कुंदन कुमार, गया. इस वर्ष पितृपक्ष की शुरुआत 28 सितंबर से शुरू हो रही है जो 14 अक्टूबर तक चलेगी. पिछले वर्ष की तुलना में इस बार अधिक श्रद्धालुओं के आने की संभावना जताई जा रही है. श्रद्धालुओं की संख्या को देखते हुए गया जिला प्रशासन पूरी तैयारी में जुट चुकी है. श्रद्धालुओं को ठहरने को लेकर गया शहर के गांधी मैदान में 2000 कैपेसिटी का टेंट सिटी बनाया जाएगा.

इसके अलावे कई स्कूलों को चिन्हित किया गया है जहां पर देश के कोने-कोने से आने वाले श्रद्धालुओं को ठहराया जाएगा. गया व बोधगया के 85 होटल और गेस्ट हाउस के अलावे 468 पंडा का निजी भवन एवं धर्मशाला भी चिन्हित किए गए है.

2000 कैपेसिटी का टेंट सिटी बनाया जाएगा
शहर के गांधी मैदान में बनने वाले टेंट सिटी में पिछले साल 1400 श्रद्धालुओं को रहने की व्यवस्था की गई थी, लेकिन इस बार अधिक श्रद्धालु के आने की संभावना को देखते हुए 2000 कैपेसिटी का टेंट सिटी बनाया जाएगा. गया जिला प्रशासन पहली बार श्रद्धालुओं के आवासन स्थल पर गंगाजल की व्यवस्था करने जा रही है. पाइपलाइन के माध्यम से गांधी मैदान तक गंगाजल पहुंचाई जाएगी और इस बार टेंट सिटी में रहने वाले श्रद्धालुओं को गंगाजल की सुविधा मिलेगी.

वाटर टैंक और वाटर एटीएम से पहुंचेगा पानी
गौरतलब हो कि देश के विभिन्न कोने से आने वाले श्रद्धालुओं को पितृपक्ष के दौरान किसी भी तरह की कोई परेशानी न हो इसको लेकर विशेष इंतेजाम किया जा रहा है. आवासन स्थल पर पीने के लिए गंगाजल के अलावा 298 चापाकल, 34 प्याऊ, 6 जगह पर नया बोरिंग के अलावे 607 नल चिन्हित किए गए हैं. जहां पर श्रद्धालुओं को पानी की व्यवस्था रहेगी.

आवासन स्थल पर 30 वॉटर टैंकर तथा चार वाटर एटीएम के माध्यम से श्रद्धालुओं को पीने के लिए पानी पहुंचाई जाएगी.

जानिए क्या है तैयारी
इस संबंध में जानकारी देते हुए गया के डीएम डॉक्टर त्यागराजन एसएम बताते हैं कि गया में पहली बार पितृ पक्ष में श्रद्धालुओं को आवासन स्थल पर गंगाजल की सुविधा मिलेगी. गांधी मैदान में बनने वाले टेंट सिटी में श्रद्धालुओं को पीने के लिए गंगाजल उपलब्ध किया जाएगा.

उसके लिए तेजी से काम किया जा रहा है. इन्होंने बताया गया जी आने वाले सभी श्रद्धालु एक अच्छा अनुभव लेकर यहां से वापस लौटे इसको लेकर प्रशासन हर संभव इंतेजाम कर रही है.

Tags: Bihar News, Gaya news, Pitru Paksha, Religion 18

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