गणेश चतुर्थी की रात चांद को देखना क्यों मानते हैं अशुभ? काशी के ज्योतिषी से जानें सब

अभिषेक जायसवाल/वाराणसी: भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को प्रथम पूज्य भगवान गणेश का जन्मोत्सव मनाया जाता है. इसे विनायक चतुर्थी भी कहा जाता है. इसके अलावा इसे कलंक चतुर्थी, शिव चतुर्थी और डंडा चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है. इस साल 19 सितंबर को यह पर्व मनाया जाएगा.

इस दिन से ही गणेश उत्सव की शुरुआत होती है जो कि अंनत चतुर्दशी तक चलता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस गणेश चतुर्थी पर चंद्रमा के दर्शन करने की मनाही होती है. काशी के ज्योतिषी से जानें कि आखिर भाद्रपद चतुर्थी पर चंद्रमा के दर्शन करना क्यों मना है.

क्‍यों नहीं करते चंद्रमा के दर्शन?
काशी के ज्योतिषाचार्य स्वामी कन्हैया महाराज ने बताया कि पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भाद्रपद मास में पड़ने वाले चतुर्थी तिथि को चंद्रमा के दर्शन करने से मनुष्य कलंक का भागी बनता है. इसके अलावा उस पर मिथ्या आरोप भी लगते हैं.

भगवान श्रीकृष्ण पर भी लगे थे आरोप
स्वामी कन्हैया महाराज ने साथ ही बताया कि कथाओं के मुताबिक, गणेश चतुर्थी के दिन भगवान श्रीकृष्ण ने भी चंद्रमा को देखा था. इस कारण उन पर मिथ्या आरोप लगे थे. इस आरोप से मुक्ति के लिए उन्होंने पूरे विधि विधान से भगवान गणेश की पूजा की थी. इस वजह से उन्हें इससे मुक्ति मिला था.

चंद्रमा से जुड़ी है ये कथा
स्वामी कन्हैया महाराज के मुताबिक, इससे जुड़ी एक कथा ये भी है कि जब शिव और पार्वती के पुत्र गणेश को गज का मुख लगाया गया, तो उन्होंने अपने पृथ्वी की परिक्रमा की. इस दौरान सभी देवी देवता उनकी श्रुति कर रहे थे, लेकिन चंद्रमा अपने खूबसूरती के गुमान में गजानन के अवतार को देख मुस्कुरा रहे थे. उनके इस अभिमान को देख भगवान गणेश ने उन्हें काले होने का श्राप दे दिया. इस दिन चांद पर काले धब्बे सबसे ज्यादा दिखाई देते हैं, इसलिए इस दिन चंद्रमा देखने की मनाही भी होती है. (नोट-यह खबर धार्मिक मान्यताओं और ज्योतिषशास्त्र पर आधारित है.News 18 इसकी पुष्टि नहीं करता.)

Tags: Ganesh Chaturthi, Ganesh Chaturthi History, Religion 18

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