मो.महमूद आलम/नालंदा. खून की कीमत उनको ही पता है जिनको जरूरत पड़ती है. यह सिर्फ डोनेट कर के ही मिल सकता है. आज भी कई लोग हैं जो जरूरतमंद के लिए रक्तदान करते हैं. ऐसे ही एक युवक हैं नालंदा के दिनेश कुमार. बीते 7 साल में वे 23 बार ब्लड डोनेट कर चुके हैं. इसके साथ ही युवाओं से ब्लड डोनेट करने की अपील भी करते हैं. ताकि ज़रूरतमंदों की जिंदगी बचाई जा सके.
आपको बता दें कि दिनेश कुमार बिहारशरीफ़ सदर अस्पताल में ब्लड बैंक विभाग में डाटा ऑपरेटर के पद पर पदस्थापित हैं. जब वह ज्वॉइनिंग के बाद ब्लड कैम्प में जाने लगे तो वहां से मोटिवेट हुए और 2016 से ही ब्लड डोनेट करना शुरू किया.
उस कैंप में मौजूद साथियों ने ब्लड डोनेट करने के फ़ायदे बताए. फिर पहली बार उन्होंने भी रक्तदान किया. जब रक्तदान किए तो थोड़ा भय लग रहा था, लेकिन जब रक्तदान के बाद राहत महसूस हुई और खुद को फ्रेश लगा है. उसके बाद से हर तीन माह के बाद जब कैंप लगता है, उसमें अन्य लोगों के साथ एक यूनिट ब्लड डोनेट करते हैं. उन्होंने एक वाकिया बताया कि एक बार का समय था जब वह ड्यूटी पर थे, तो उन्हें किसी ने बताया के एक दिव्यांग गरीब महिला अस्पताल में प्रसव के लिए आई है. उसे कोई ब्लड डोनेट करने वाला नहीं मिला. पर उसे खून की सख्त जरूरत थी. फिर उन्होंने दो यूनिट रक्तदान करवा कर उस महिला को नई जिंदगी दी. उनके साथ अन्य कई लोगों ने रक्तदान किया था.
उन्होंने यह भी बताया कि हर साल सदर अस्पताल में 4.5 हज़ार लोगों के द्वारा अलग अलग समय पर रक्तदान किया जाता है. जिसमें 25 से 30 हज़ार यूनिट मिलता है जबकि हर साल 50 से 60 हज़ार यूनिट के करीब ब्लड की जरूरत होती है. इसलिए लोगों को आगे आकर रक्तदान करना चाहिए. इससे ख़ुद के साथ दूसरों को भी लाभ पहुंचता है. जिसमें सबसे ज़्यादा ज़रूरत प्रसव और उसके बाद एक्सिडेंटल मामले में खून की ज़रूरत पड़ती है. इससे स्वास्थ लाभ मिलता है साथ ही कई गंभीर बीमारियों से भी बचाव होता है. दिनेश कुमार (29) पिता स्व. लालधारी प्रसाद के पुत्र सिलाव प्रखंड के माधोपुर गांव के रहनेवाले हैं. उनका ब्लड ग्रुप O+ है.
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FIRST PUBLISHED : September 10, 2023, 15:58 IST