आशुतोष तिवारी/रीवा: संभाग का सबसे बड़ा संजय गांधी स्मृति चिकित्सालय और कुशाभाऊ ठाकरे जिला अस्पताल के ब्लड बैंक की हालत बीमार है. जरूरतमंदों को ब्लड बैंक में निराशा हाथ लगती है. हालत यह है 125 यूनिट क्षमता वाले ब्लड बैंक में 45 यूनिट ब्लड है. कई बार मरीजों को जान पर बन आती है. जबकि संजय गांधी अस्पताल रीवा में रोजाना 15 सौ से ज्यादा मरीज उपचार के लिए आते है.
जिला अस्पताल में भी हालत खराब
जिला अस्पताल के ब्लड बैंक की हालत भी खराब है. स्थिति यह है की एक दो ब्लड ग्रुप तो ऐसे रहते हैं जिनका ब्लड ही नहीं है. वहीं कुछ ब्लड ग्रुप ऐसे भी है जिनका केवल 1 या 2 यूनिट ब्लड ही अस्पताल में बचा है. ऐसे में कई बार मरीजों को ब्लड बैंक में रक्त की तलास में भटकते देखा जा सकता है.
रक्तदाता में भी रहती है निराश
रक्तदाता बालकृष्ण द्विवेदी ने बताया कि हम लोग समय-समय पर यह प्रयास करते रहते हैं कि रक्तदान किया जाए. मैं अपनी पूरी टीम के साथ रक्तदान करता हूं. लेकिन ब्लड बैंक का सहयोग बेहतर ढंग से नहीं मिलता है. क्योंकि यहां पर नर्सिंग के छात्र रहते है. और वो ट्रेनी होते है. ब्लड बैंक में ब्लड की कमी की एक बड़ी वजह यह भी है. कई बार तो ऐसा होता है की खुद रक्तदाताओं को जो समय-समय पर ब्लड डोनेशन का काम करते हैं उन्हें ही जरूरत के वक्त ब्लड नहीं मिल पाता है. इससे मुझे निराशा हाथ लगती है.
ब्लड बैंक में नहीं रहते प्रभारी
रक्तदाता बालकृष्ण द्विवेदी ने बताया कि संजय गांधी में ब्लड बैंक के प्रभारी संतोष सिंह ब्लड बैंक में कभी दिखाई नहीं देते हैं. और ना ही वह जरूरतमंदों का फोन उठाते हैं.केवल हाई प्रोफाइल लोगों का फोन उठते हैं. जबकि इससे पहले जो भी ब्लड बैंक प्रभारी थे. वह अक्सर लोगों की मदद किया करते थे. वहीं मामले को लेकर जिला अस्पताल के सिविल सर्जन संजीव शुक्ला ने बताया कि रक्तदाताओं से संपर्क किया जा रहा है. जल्द ही ब्लड बैंक में ब्लड की कमी को दूर करने का प्रयास किया जा रहा है.
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FIRST PUBLISHED : September 09, 2023, 22:59 IST