क्या प्रियंका वाड्रा परदादा नेहरू की सीट से मैदान में कूदेंगी…

करीब चार दशक बाद एक बार फिर गांधी परिवार इस सीट पर कब्जा जमाने के लिए उतरने की तैयारी में दिख रहा है। पार्टी नेताओं का दावा है कि पंडित नेहरू की कर्मभूमि के आधार पर आईएनडीआईए के सीट शेयरिंग फॉर्मूले में फूलपुर सीट पर कांग्रेस का हक बनता है।

लखनऊ। उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों पर दबदबा बनाये रखना किसी भी पार्टी के लिए चुनौती से कम नहीं है। कभी यूपी में कांग्रेस का डंका बजता था,लेकिन अब कांग्रेस को एक-एक सीट जीतने के लिए नाको चने चबाना पड़ते हैं, लेकिन अबकी से कांग्रेस उत्तर प्रदेश में नई रणनीति के साथ उतरने की तैयारी कर रही है। सूत्र बताते हैं कि कांग्रेस इस बार यूपी में बीजेपी को चुनौती देने के लिए अमेठी से राहुल गांधी, रायबरेली से सोनिया गांधी और फूलपुर से प्रियंका गांधी को चुनावी मैदान में उतरने की योजना तैयार कर रही है। इससे संबंधित प्रस्ताव तैयार कराए जा रहे हैं।

कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष बनते ही अजय राय ने राहुल गांधी के अमेठी और प्रियंका गांधी के वाराणसी से लोकसभा चुनाव के मैदान में उतरने की घोषणा कर भी दी थी। हालांकि, बाद में वे सफाई मोड में नजर आए कि जनता चाहती है कि गांधी परिवार लोकसभा चुनाव लड़े। यूपी में कांग्रेस आईएएनडीआई के बैनर तले ही चुनावी मैदान में उतर सकती है। ऐसे में पार्टी की कोशिश अधिक से अधिक सीटों पर अपना दावा करने की होगी। इसको लेकर पार्टी अपनी रणनीति को साफ करती दिख रही है। बता दें फूलपुर संसदीय क्षेत्र से कभी पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू चुनाव जीता करते थे।

 

फूलपुर लोकसभा सीट से नेहरू ने तीन बार जीत दर्ज की। पंडित नेहरू ने यहां से वर्ष 1952, 1957 और 1962 का लोकसभा चुनाव जीता था। यह उनकी कर्मभूमि रही थी। पंडित नेहरू की मृत्यु के बाद 1964 के उप चुनाव में उनकी बहन विजय लक्ष्मी पंडित यहां से जीतीं। वर्ष 1967 के चुनाव में भी उन्होंने फूलपुर से सफलता हासिल की। उनके इस्तीफे के बाद वर्ष 1969 में हुए उप चुनाव में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के जनेश्वर मिश्र ने कांग्रेस को पहली बार इस सीट पर हराया था। इसके बाद 1971 में कांग्रेस ने यहां से बीपी सिंह को उम्मीदवार बनाया और वह जीत दर्ज करने में सफल रहे। 1977 में जनता पार्टी की प्रत्याशी कमला बहुगुणा ने कांग्रेस के नाम रामपूजन पटेल को हराया था। कमला 1980 में कांग्रेस के टिकट पर जीतीं। 1984 में कांग्रेस के टिकट पर रामपूजन पटेल जीते। इसके बाद से सभी चुनाव में कांग्रेस को हार मिली है।

 

करीब चार दशक बाद एक बार फिर गांधी परिवार इस सीट पर कब्जा जमाने के लिए उतरने की तैयारी में दिख रहा है। पार्टी नेताओं का दावा है कि पंडित नेहरू की कर्मभूमि के आधार पर आईएनडीआईए के सीट शेयरिंग फॉर्मूले में फूलपुर सीट पर कांग्रेस का हक बनता है। यहां से अगर प्रियंका गांधी चुनावी मैदान में उतरती हैं तो इलाहाबाद, भदोही, कौशांबी, प्रतापगढ़ के साथ पूर्वांचल के अन्य सीटों पर असर दिख सकता है। प्रियंका को पहली बार चुनावी मैदान में पंडित नेहरू की सीट से लॉन्च किए जाने को भी लोग सही मान रहे हैं।

 

बहरहाल, प्रियंका के प्रयागराज जिले की फूलपुर लोकसभा सीट से चुनाव की बात सामने आते ही यहां राजनीतिक हलचल काफी तेज हो गई है। गौरतलब हो, कांग्रेस लगातार उत्तर प्रदेश में अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए प्रियंका गांधी को चुनावी मैदान में उतरने की बात कर रही है। यूपी के राजनीतिक मैदान में कांग्रेस की स्थिति लगातार खराब दिख रही है। यूपी चुनाव 2022 में कांग्रेस 2 फीसदी से कुछ अधिक वोट शेयर हासिल कर सकी और दो सीटों पर पार्टी को जीत मिली। लोकसभा चुनाव 2019 में भी पार्टी को केवल रायबरेली से सफलता मिली। पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी यहां से जीत दर्ज करने में कामयाब रही थी।

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