हाइलाइट्स
असम के कछार जिले में 1981 में खोला गया था पहला कैंसर अस्पताल
राज्य के विभिन्न हिस्सों और त्रिपुरा में छोटे अस्पताल स्थापित करने की इच्छा
इस सुविधा से लोगों को घर के नजदीक कैंसर का इलाज मिल सकेगा
नई दिल्ली. कैंसर पीड़ित मरीजों के जीवन को बेहतर बनाने में आगे आने वाले असम के प्रख्यात कैंसर रोग विशेषज्ञ डा. रवि कन्नन (Ramon Magsaysay Award 2023 ) को वर्ष 2023 के लिए रेमन मैग्सेसे अवॉर्ड के लिए चुना गया है. पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित हो चुके डॉ. कन्नन को रेमन मैग्सेसे अवार्ड फाउंडेशन ने ‘हीरो फॉर होलिस्टिक हेल्थकेयर’ कैटेगरी के लिए चुना है. इस अवॉर्ड को एशिया के नोबेल पुरस्कार के रूप में देखा जाता है. डा. रवि के पिता भारतीय वायुसेना में सेवा दे चुके हैं.
जाने माने ऑन्कोलॉजिस्ट डा. रवि कन्नन के साथ ही 3 अन्य लोगों को भी यह पुरस्कार प्रदान किया जाएगा. इनमें शिक्षा के लिए बांग्लादेश के रक्षंद कोरवी, पर्यावरण संरक्षण के लिए तिमोर-लेस्ते के यूजेनियो लेमोस, शांति और महिलाओं की भागीदारी के लिए फिलीपींस की मिरियम कोरोनेल फेरर शामिल हैं. असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने रेमन मैग्सेसे पुरस्कार मिलने पर रवि कन्नन को बधाई दी है.
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मीडिया रिपोर्ट्स के मुूताबिक कन्नन 2007 से असम के कछार कैंसर अस्पताल और अनुसंधान केंद्र (सीसीएचआरसी) के निदेशक के रूप में कार्यरत हैं. इससे पहले वह चेन्नई के अडयार कैंसर संस्थान में सर्जन थे. उनके अस्पताल को दक्षिणी असम के साथ-साथ त्रिपुरा, मिजोरम और मणिपुर में हाशिए पर रहने वाले कैंसर प्रभावित लोगों का इलाज करने के लिए जाना जाता है. गरीब लोगों के लिए कैंसर के इलाज को किफायती बनाने के लिए डा. कन्नन ने पिछले कुछ सालों में कई कदम उठाए हैं. इनमें से एक राज्य के कुछ जिलों में दूरस्थ क्लीनिक स्थापित करना शामिल है.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक कन्नन ने कहा कि वह अब राज्य के विभिन्न हिस्सों और त्रिपुरा में छोटे अस्पताल स्थापित करना चाहते हैं ताकि लोगों को घर के नजदीक कैंसर का इलाज मिल सके. उन्होंने कहा कि जब भी हम कोई सहायता मांगते हैं, सरकार कभी मना नहीं करती. डा. रवि ने कहा कि अन्य बीमारियों की तरह कैंसर का भी इलाज संभव है.
बताते चलें कि नॉर्थ ईस्ट भारत में कैंसर रोगियों और उससे होने वाली मृत्यु दर सबसे ज्यादा है. मरीजों के परिवारों की भावनाओं और आर्थिक हालातों को मद्देनजर डॉ. कन्नन को कई कठिन चुनौतियों का भी सामना करना पड़ा है. उत्तर पूर्वी राज्यों में कैंसर के इलाज के क्षेत्र में एक नई क्रांति लाने का काम डॉ. कन्नन ने किया है.
इस बीच देखा जाए तो कछार जिले में पहला कैंसर अस्पताल 1981 में खोला गया था. लेकिन 1996 में एक गैर सरकारी संगठन ने कछार कैंसर अस्पताल और अनुसंधान केंद्र (सीसीएचआरसी) की स्थापना की थी. उनके नेतृत्व के चलते अस्पताल को व्यापक कैंसर देखभााल अस्पताल में तब्दील कर दिया गया. उनको 2007 में अस्पताल का निदेशक नियुक्त किया गया था. कैंसर, पैथोलॉजी, रेडियोलॉजी, उपशामक देखभाल जैसे करीब 28 विभागों का नेतृत्व डॉ. कन्नन कर रहे हैं. गौर करने वाली बात यह है कि हर साल अस्पताल की ओर से सैकड़ों रोगियों को मुफ्त या रियायत पर कैंसर का उपचार उपलब्ध करवाया जाता है.
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Tags: Assam news, Cancer, North East
FIRST PUBLISHED : September 01, 2023, 10:09 IST