कभी होता था नशेड़ियों का जमावड़ा…आज चलती है संगीत की क्लास, जानें इस वीरान पहाड़ की कहानी

तनुज पांडे/ नैनीताल. उत्तराखंड के नैनीताल में स्थित प्रतिष्ठित सेंट जोसेफ कॉलेज के बच्चों और कर्मचारियों की मेहनत रंग लाई है. सालों से स्कूल के पीछे वीरान पड़ी पहाड़ी को संवार कर सुंदर इको गार्डन बनाया गया है. स्कूल के प्रिंसिपल ब्रदर हेक्टर पिंटो ने बताया कि गार्डन को बनाने के लिए विद्यालय के पुराने सामान का प्रयोग किया गया है. जिसमें स्कूल के छात्रावास के पुराने बेड के फ्रेम का उपयोग पार्क की रेलिंग बनाने, पुराने रेफ्रिजरेटर को मछलीघर की तरह उपयोग किया गया है और पुराने पॉली हाउस के सामान का उपयोग कर म्यूजिक रूम में बदला गया है.

ब्रदर हेक्टर पिंटो आगे कहते हैं कि स्कूल के हॉस्टल और मेस के गीला कचरा, फलों के छिलके, अंडे के छिलके आदि को इकठ्ठा कर खाद बनाई जाती है. इसका इस्तेमाल पार्क में किया जाता है. स्कूल के बच्चों और कर्मचारियों से पार्क में पौधे लगवाए गए हैं और हर पौधे के रखरखाव की जिम्मेदारी पौधे लगाने वाले व्यक्ति को ही दी गई है. पार्क में कई प्रकार के सुंदर फूल और बच्चों द्वारा बनाई गई सुंदर पेंटिंग को भी लगाया गया है.

लॉकडाउन में आया आइडिया
प्रिंसिपल आगे बताते हैं कि पहले यह पहाड़ी नशे के आदी लोगों का अड्डा बन चुकी थी. यहां लोग पार्टियां करने, शराब पीने और ड्रग्स लेने आते थे. लॉकडाउन के दौरान जहां लोगों को नौकरियों से निकाला जा रहा था.वहीं सेंट जोसेफ कॉलेज के मैनेजमेंट ने तय किया कि उनके कर्मचारियों द्वारा इस पहाड़ी को पार्क के रूप में संवारा जाएगा. जिससे उनकी नौकरी पर भी कोई असर नहीं पड़ेगा और एक इको पार्क बनकर तैयार हो जाएगा.

इको पार्क में बनाए गए छोटे-छोटे तालाब
ब्रदर पिंटो ने बताया कि इको पार्क में छोटे-छोटे तालाब भी बनाए गए है, जिनमें सीजनल मछलियां, महाशीर और ग्रास कार्प प्रजाति की मछलियों को रखा गया है. इन्हें भीमताल से मंगवाया गया है. साथ ही पार्क में मौन पालन भी किया गया है. इसके लिए स्कूल के दो कर्मचारियों को ज्योलीकोट स्थित मौन पालन केंद्र में प्रशिक्षण दिलाया गया है.

बर्थडे पार्टी के साथ-साथ म्यूजिक क्लास भी
इको पार्क में छात्रों के बर्थडे पर पार्टी का आयोजन किया जाता है.वहीं स्टूडेंट के लिए म्यूजिक क्लास भी संचालित की जाती है. पहाड़ी में स्थित होने के कारण पार्क से हनुमान गढ़ी, मनोरा पीक की पहाड़ियां, एरीज और अल्मोड़ा की पहाड़ियों का सुंदर नजारा दिखता है. पार्क में आने के लिए स्कूल के प्रिंसिपल से अनुमति लेना अनिवार्य है.

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