अनूप पासवान/कोरबा. जूस की पाइप, हार्पिक के ढक्कन और ड्रिप के बोतल से बने झूमर को देखकर कोई भी समझ नहीं सकता कि ये आश्चर्यजनक आभूषण कबाड़ सामान से निर्मित हैं. इन अद्वितीय आभूषणों के द्वारा, प्लास्टिक से बने फूलों के गुलदस्ते और कपड़े की चटाई भी शामिल हैं, लोगों को अपनी ओर आकर्षित करने में कोई कठिनाई नहीं हो रही है.
शहर के एसएलआरएम सेंटर में स्वच्छता दीदी ने समय निकालकर कबाड़ से भी आकर्षक सामान बनाकर बेचने का काम शुरू किया है. वर्तमान में 19 सेंटरों में से 10 सेंटरों में बोतल और प्लास्टिक जैसे वेस्ट मैटेरियलों का पुनःचक्रण किया जा रहा है, और महिलाएं इस से न केवल अतिरिक्त आय कमा रही हैं, बल्कि उन्होंने घरों में अनुपयोगी सामान भी डोर टू डोर कचरा कलेक्शन के समय स्वच्छता दीदियों को प्लास्टिक के साथ ही कपड़े से बने ‘खिलौने’ और ‘कुर्सियां’ भी प्रदान किए हैं.
निगम की ओर से महिलाओं की इस पहल को प्रोत्साहित करने का प्रयास भी किया जा रहा है. प्लास्टिक के कचरे मवेशियों के लिए एक खतरनाक समस्या भी है, जिसके समाधान के रूप में इस पहल में अस्पतालों से निकलने वाले ड्रिप का उपयोग किया जा रहा है. इसके अलावा, वेस्ट मैटेरियल से चटाई भी निर्मित की जा रही है. इस क्षेत्र में इस पहल की डिमांड भी बढ़ रही है, और दीवारों को सजाने के लिए प्लास्टिक से बने आकर्षक चित्र की भी मांग हो रही है.
कचरा कलेक्शन में 688 स्वच्छता दीदी कर रही काम
नगर निगम के 67 वार्डों में 19 एसएलआरएम सेंटर स्थित हैं, जहां 688 स्वच्छता दीदी काम कर रही हैं. डोर टू डोर कचरा कलेक्शन के बाद, इन सेंटरों में कचरा पहुंचाया जाता है, और यहां पर सूखे और गीले कचरे को अलग-अलग विभागों में विभाजित किया जाता है. इन सेंटरों में महिलाएं अलग-अलग काम करती हैं, जो स्वच्छता संबंधित कार्यों को संचालित करती हैं.
आउटलेट खोलने का होगा प्रयास
निगम के स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. संजय तिवारी ने बताया कि महिलाओं को प्रोत्साहित किया जा रहा है और आगे की स्थिति में महिलाओं के लिए आउटलेट खोलने का प्रयास किया जा रहा है.
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FIRST PUBLISHED : August 16, 2023, 17:36 IST