शुभम मरमट / उज्जैन. विश्व प्रसिद्ध बाबा महाकाल की नगरी उज्जैनीय जिसे धार्मिक नगरी कहा जाता है. यहां कई ऐसे मंदिर है, जिनकी अलग ही पौराणिक महत्व है. शिप्रा नदी के रामघाट पर धर्मराज और चित्रगुप्त का मंदिर भी अपने आप मे काफी प्रसिद्ध माना गया है.
पंडित राकेश जोशी के कहा कि जीव-जंतु अथवा मनुष्य शारीरिक कष्टों के चलते कई बार जीवन और मौत के बीच संघर्ष करते हैं. ऐसी स्थिति में उनकी रक्षा अथवा मोक्ष की प्राप्ति के लिए यहां पर पूजा करवाने के लिए श्रद्धालु आते हैं. यहां पर पूजा करने के बाद 24 घंटों के अंदर परिणाम आ जाता है. मंदिर में पूजा अर्चना करने से कई लोगों को स्वास्थ्य लाभ भी पहुंचा है.
घी का दीपक लगाने की है मान्यता
शिप्रा नदी किनारे रामघाट पर यह मंदिर काफी प्रसिद्ध है. पंडित जोशी ने आगे कहा कि जो भी व्यक्ति शारीरिक कष्ट बाधा भोग रहा है और चाहते हैं या तो स्वस्थ हो जाये या उसे मोक्ष मिल जाये. इसलिए कई लोग जिसे ऐसी पीड़ा है या तो उसे रामायण सुनते है या और कुछ. धर्मराज का मंदिर में घी का दीपक लगाने से यह कष्ट दूर होता है. उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है. प्रतिदिन यहां पर हजारों श्रद्धालु आते हैं.
कई सौ साल पुराना है इतिहास
पंडित राकेश जोशी के बताया कि मंदिर के ऊपर से कर्क रेखा गुजरती है. इसलिए भी मंदिर का विशेष महत्व माना गया है. पिछले 400 साल से उनके पूर्वज मंदिर में पूजा अर्चना कर रहे हैं. 1702 में भी यहां पर पूजा अर्चना किए जाने के प्रमाण मौजूद है. देशभर के श्रद्धालु यहां पर रोग दोष की मुक्ति के लिए आते हैं. उत्तर उत्तरवाहिनी शिप्रा नदी के किनारे स्थित धर्मराज मंदिर हजारों लोगों की आस्था का केंद्र है. यहां पर कई श्रद्धालु प्रतिदिन दर्शन करने के लिए आते हैं. इसके अलावा मंदिर में दीपक लगाने का भी विशेष महत्व है. राम घाट पर शिप्रा में स्नान करने के बाद श्रद्धालु मंदिर में पूजा अर्चना करते हैं.
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FIRST PUBLISHED : December 1, 2023, 09:11 IST