एसडीएम और डिप्टी कलेक्टर में क्या होता है अंतर, किसके पास है अधिक पावर?

SDM Vs Deputy Collector: आप में से कई ऐसे लोग हैं, जिन्हें SDM या डिप्टी कलेक्टर के ऑफिस किसी न किसी काम को लेकर जाना पड़ा होगा. कई लोग तो ऐसे भी होंगे, जिन्हें काम के सिलसिले में अक्सर आना जाना लगा रहता होगा. इसके बावजूद भी कई ऐसे लोग हैं, जिन्हें कंफ्यूजन रहता है कि SDM और डिप्टी कलेक्टर (Deputy Collector) एक ही होते हैं या अलग-अलग होते हैं. लेकिन आपको बता दूं कि ये दोनों पद अलग-अलग होते हैं. इनके पावर और काम करने के तरीकों में भी काफी अंतर होता है. एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस में SDM और डिप्टी कलेक्टर के पदों को काफी अहम माना जाता है. अगर आपको भी इन दोनों पदों को लेकर कोई कंफ्यूजन लगता है, तो यहां विस्तार से पढ़ सकते हैं.

SDM और डिप्टी कलेक्टर में अंतर (Difference Between of SDM and Deputy Collector)
एसडीएम मूल रूप से डिप्टी कलेक्टर रैंक का ऑफिसर होता है. केवल इस बात पर निर्भर करता है कि डिप्टी कलेक्टर किस कुर्सी पर बैठा हुआ है. डिप्टी कलेक्टर को जिला आपूर्ति अधिकारी, डिप्टी कलेक्टर (EGS), डिप्टी कलेक्टर (GAD), डिप्टी कलेक्टर (अतिक्रमण), डिप्टी कलेक्टर (Election) आदि जैसे पदों पर तैनात किया जाता है. तब वे मुख्यालय में केवल एक विशेष विभाग के मुखिया के तौर पर काम करते हैं. वहीं जब डिप्टी कलेक्टर को सब डिविजनल मजिस्ट्रेट (SDM) या सब डिविजनल ऑफिसर (SDO) के रूप में पोस्टिंग की जाती है, तब वह मिनी कलेक्टर के रूप में कार्य करते हैं. इसके बाद वह लॉ एंड ऑर्डर सहित सब डिवीजन में कई विभागों के प्रमुख भी होते हैं. डिप्टी कलेक्टर तब पावरफुल होता है, जब उसे SDM/SDO के रूप में तैनात किया जाता है.

SDM और डिप्टी कलेक्टर का पावर (SDM and Deputy Collector Power)
SDM यानी सब डिवीजनल मजिस्ट्रेट क्रिमिनल प्रोसीजर कोड (CrPC) के अनुसार काम करते हैं. यह CrPC 1973 के सेक्शन 20 के सब सेक्शन 4 के मुताबिक अपने पावर का इस्तेमाल करता है. एसडीएम के कंधों पर अपने सब डिविजन के लॉ एंड ऑर्डर को बना रखने की जिम्मेदारी होती है. इसके अलावा SDM के पास किसी भी व्यक्ति को CrPC 1973 के सेक्शन 44 के तहत गिरफ्तार करने का पावर होता है. इनके पास मजिस्ट्रेट और ज्यूडिशियरी पावर भी है. एसडीएम को कार्य करने का यह सभी पावर CrPC 1973 के तहत अपने आप मिलती है. वहीं डिप्टी कलेक्टर की बात करें, तो वह राज्य के भूमि राजस्व अधिनियम के प्रावधानों के तहत काम करता है. इनके पास किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार करने, लाठीचार्ज करने, सेक्शन 144 लागू करने जैसा कोई भी पावर नहीं होता है. डिप्टी कलेक्टर के पास अपने अधिकार क्षेत्र में लॉ एंड ऑर्डर को लागू करने की जिम्मेदारी नहीं होती है. इसके अलावा डिप्टी कलेक्टर के पास केवल रेवेन्यू से संबंधित पावर होता है. इनके पावर को राज्य सरकार और संबंधित जिले के कलेक्टर द्वारा आवंटित किया जाता है.

SDM और डिप्टी कलेक्टर सैलरी
SDM और डिप्टी कलेक्टर के सैलरी और अन्य सुविधाओं को लेकर बात करें, तो इसमें अंतर न के बराबर माना जाता है. दोनों की ज्वाइनिंग के बाद मिलने वाली सैलरी और सुविधाएं समान होती है. SDM और डिप्टी कलेक्टर की पहली ज्वाइनिंग के समय दोनों का बेसिक सैलरी 56100 रुपये होता है.

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