गोपाल मंदिर के पुजारी शर्मा ने कहा कि जन्माष्टमी पर्व के बाद से ही मंदिर में शयन आरती नही होती है. माना जाता है कि भगवान बाल रूप में होते है, इसलिए भगवान के सोने और जागने का समय निर्धारित नही होता है.बारस तिथि को भगवान जब बड़े हो जाते है तो बाल लीला का आयोजन कर माखन मटकी फोड़कर भगवान की शयन आरती होती है.
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