इस रंग के जोड़े को पहन करें करवा चौथ का व्रत, मिलेगा अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद

विक्रम कुमार झा/पूर्णिया. करवा चौथ सुहागिन महिलाओं के सोलह श्रृंगार के साथ अखंड सौभाग्य और सभी सुख संपदाओं को देने वाला पर्व है. इसमें महिलाएं निर्जला रहकर ईश्वर के साथ अपने जीवन साथी पति पर्मेश्वर के लिए व्रत करती हैं. पंडित मनोत्पल झा कहते हैं कि यह महिलाओं के लिए बहुत बड़ा पर्व है. इस बार करवा चौथ 1 नवंबर 2023 को है. यह पर्व कार्तिक महीना के कृष्ण पक्ष के चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है. लेकिन चतुर्थी तिथि 31 तारीख को ही  रात्रि 11:12 प्रवेश कर जाएगा, लेकिन मिथिलांचल और हिंदू धर्म में जिसका उदय हो उसका मान्य होता है. तो इसलिए 1 नवंबर 2023 को ही करवा चौथ मनाया जाएगा. इसे सुहागिन महिलाएं मानती है और यह अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए सुखी दांपत्य जीवन के लिए यह व्रत को रखती है.

पंडित जी कहते हैं कि आजकल बदलते ट्रेंड में कई महिला व्रत में अलग-अलग कलर का कपड़ा पहनकर व्रत करती है. लेकिन यह गलत होता है. इस व्रत में उजला और काला कपड़ा से सर्वदा वर्जित रखें. इस दिन लाल साड़ी के जोड़े में आप पूजा करें तो यह अति लाभदायक होगा या नारंगी या बैंगनी साड़ी पहनना अति उत्तम होगा.

ये होगा शुभ मुहूर्त…..
पंडित मनोत्पल झा कहते हैं कि चंद्रमा पूजा के लिए शुभ मुहूर्त रात्रि 8:30 बजे के बाद हैं. क्योंकि दिल्ली के समय 8:15 बजे है. मुंबई का 8:59, पुणे का 8.57 और अलग-अलग राज्य में अलग-अलग समय है. लेकिन मिथिलांचल में रात्रि 8:30 बजे के बाद आप चंद्रमा का विशेष पूजन कर आप अपने पति पर्मेश्वर की पूजा कर चलनी में उसका चेहरा देखें.

करवा चौथ पर होती है विशेष पूजा
इस व्रत के दिन चंद्रमा की विशेष पूजा की जाती है. वैसे तो इस व्रत में भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की पूजा होती है. लेकिन खास करके सुहागन महिलाएं चंद्रमा की पूजा करती है. निर्जला व्रत रखकर पूरे दिन भूखी रहती हैं. रात्रि में अपने पति का मुंह देख व्रत का समापन करती हैं. पति अपने पत्नी को अपने हाथों से जो जल उसे अमृत रूप में पिलाकर उसका व्रत समापन करती हैं.

ऐसे करें व्रत का समापान
पंडित मनोत्पल झा कहते हैं कि इस व्रत में पति-पत्नी को मिठाई खिलाते हैं. क्योंकि मिठाई में एनर्जी होती है. सबसे पहले पत्नी उपवास होने से पहले चलने से अपने पति कर मुंह देखना चाहिए. पति का आशीर्वाद जरूर प्राप्त करें. उसके बाद मुंह में पानी डालें. फिर प्रणाम कर व्रत का समापन करें.

(नोट: यह खबर धार्मिक मान्यताओं और ज्योतिषशास्त्र पर आधारित है. News 18 इसके सत्यता की पुष्टि नहीं करता हैं.)

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