इस बकरी ने बदली शिक्षक की जिंदगी! अब सालाना हो रही लाखों की कमाई

कुंदन कुमार/गया. आज के समय में ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले व्यक्ति के पास अपना स्वरोजगार शुरू करने के लिए बकरी पालन का व्यवसाय अच्छा विकल्प हो सकता है. बकरी पालन का व्यवसाय 2-4 बकरी से कर सकते हैं. धीरे-धीरे इनकी संख्या बढ़ा सकते हैं. गया जिला में एक ऐसे ही बकरी पालक हैं, जो बकरीपालन से अच्छी कमाई कर रहे हैं. जिले के बांकेबाजार प्रखंड क्षेत्र के खजुरिया गांव के रहने वाले गुफरान अली खान जो एक सरकारी स्कूल में शिक्षक हैं. सालों से बकरीपालन कर रहे हैं, लेकिन पिछले 10-12 वर्षों से उन्नत ब्रीड की बकरी पालकर 7 लाख तक कमाई कर रहे हैं.

गुफरान का परिवार वर्षों से खेती किसानी से जुड़े होने के कारण बकरी पालन के व्यवसाय से भी जुड़ा है. पूर्व में उनके पिताजी देसी नस्ल की बकरी पालन करते थे, लेकिन उसमें ज्यादा मुनाफा नहीं हो पाता था. तब इन्होंने इस व्यवसाय का ट्रेंड बदला और पिछले 12 वर्षों से बर्बरीक, बोअर, बीटल प्रजाति की बकरी को पालना शुरू किया. आज इन्हें सालाना लगभग 6 से 7 लाख रुपए की आमदनी हो रही है.

चार बकरियों के साथ इन्होंने बर्बरीक बकरी का पालन शुरू किया था और आज उनके पास छोटी-बड़ी लगभग 45 बकरी मौजूद हैं. इसके अलावा दक्षिण अफ्रीका की एक नस्ल बोअर भी रखी है. गुफरान सरकारी स्कूल के शिक्षक होने के नाते स्कूल के समय से पहले या स्कूल बंद होने के बाद अपना समय बकरियों को देते हैं. उनकी देखभाल करते हैं. ज्यादा समय स्कूल में देने के कारण अपने बकरियों पर कम समय दे पाते हैं. यही वजह है कि वह सिर्फ 40 से 50 बकरियों का पालन कर रहे हैं.

एक बकरी से सालाना 35-40 हजार रुपए की आमदनी
मुख्य रूप से गुफरान उन्नत नस्ल के ब्रिड से क्रॉस ब्रीडिंग कराते हैं और बकरियों का पालन कर इसे किसानों को अच्छी कीमत पर बेच देते हैं. इस नस्ल की बकरियों की डिमांड गया के ग्रामीण इलाके में खूब हो रही है. रोजाना इनके पास 4 से 5 बकरियों की डिमांड आ रही है. गुफरान बताते हैं कि इनके पास 25 बड़ी बकरियां हैं और छोटी-बड़ी मिलाकर लगभग 45 बकरी उपलब्ध हैं. अगर सही से देखभाल की जाए तो एक बकरी से सालाना 35-40 हजार रुपए की आमदनी होती है.

बर्बरीक नस्ल की चार बकरियों के साथ की शुरुआत
गुफरान ने बताया कि उत्तर प्रदेश से बर्बरीक नस्ल की चार बकरियों के साथ बकरी पालन की शुरुआत की थी. उसके बाद महाराष्ट्र से दक्षिण अफ्रीका के बोअर नस्ल का बकरा मंगवाया था. क्रॉस ब्रीडिंग के बाद संख्या में काफी वृद्धि हो गई है. एक दौर था जब इनके पास 70 से 80 बर्बरीक बकरियां हो गई थीं. उन्नत नस्ल की बकरी पालन से यह फायदा होता है कि इसका वजन काफी ज्यादा होता है और 3-4 महीने में बकरी तैयार हो जाती है. गया का तापमान भी इस नस्ल की बकरी को पालने के लिए काफी उपयुक्त है. युवा अगर इस नस्ल की बकरी पालन की शुरुआत करते हैं तो इससे अच्छी आमदनी की जा सकती है.

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