इस दुकान का पान है खास…राजा ने पान खाकर दान कर दी थी 500 बीघा जमीन

दिलीप चौबे/कैमूर : पान सनातन संस्कृति का अहम हिस्सा है. पान के बिना पूजा-पाठ से लेकर तमाम मांगलिक कार्य अधूरे ही रह जाता हैं. शादी में भी पान खाने को ना मिले तो अधूरा सा लगता है. सदियों से पान का क्रेज बरकरार है और इसे हर उम्र के लोग पसंद करते हैं.पान को लेकर दावा किया जाता है कि यह इससे ओरल हेल्थ के लिए लिए बेहतर है और देश में 30 से अधिक वैरायटी का पान खाने को मिल जाएगा.

यदि आप पान खाने के शौकीन है और राजशाही अंदाज में पान खाना चाहते हैं तो कैमूर जिला स्थित भगवानपुर के चौरसिया पान भंडार आना होगा. इस दुकानदार का पान खिलाने का अंदाज भी अलहदा है. इस दुकान का इतिहास राजा-महाराजाओं से जुड़ा हुआ है. राजशाही ठाट-बाट से पान खिलाने के इसी अंदाज से प्रभावित होकर राजा ने 500 बीघा जमीन दान में दे दी थी.

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राजा ने 500 बीघा जमीन दे दिया था दान

कैमूर के भगवानपुर स्थित चौरसिया पान दुकान के ऑनर गुड्डू चौरसिया ने बताया कि पनेरी जाति से ही ताल्लुक रखते हैं. वह बताते हैं कि हमारे पूर्वजों ने भी पान खिलाने का ही काम किया है और इस परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं. यह खानदानी पेशा है और जब से होश संभाला है तब से लोगों को पान खिला रहे हैं. पूर्वज राजा के दरबार में राजसी ठाठ-बाट से पान खिलाते थे.

पान खिलाने के अंदाज से राजा काफी प्रभावित होते थे. पान का स्वाद चखकर राजा इतने खुश हुए कि पूर्वजों को 500 बीघा जमीन दान में दे दी. इसका कागजात अब भी हमारे पास सुरक्षित है. उन्होंने बताया कि अब तो बाजार में कई तरह के पान आ गए हैं जो युवाओं को भी रिझा रहे हैं. इसमें फायर पान का सबसे अधिक चलन है. इन सब के बावजूद अपने पूर्वजों के नक्शे कदम पर चलकर राजसी ठाट-बाट के साथ लोगों को पान खिलाते आ रहे हैं.

पान खाने वाले शौकीनों की शाम को जुटती है भीड़


चौरसिया पान दुकान के ऑनर गुड्डू चौरसिया ने बताया किशाम के वक्त पान खाने वालों की भीड़ जुटती है. ग्राहकों का जो भी फरमाइश रहता है उसी तरह पान खिलाते हैं. ग्राहकों को पान में कई आइटम मिलकर खिलाते हैं. सौंप, इलायची, लौंग, गरि बुरादा, पान मसाला, गुलकंद के साथ के साथ देते हैं. पान खाने पहुंचे गोल्डन पांडे ने बताया पिछले 10 वर्षों से उनके पास पान खा रहे हैं. पिताजी भी यही पान खाया करते थे. इनके हाथ से बने पान का स्वाद लाजबाब रहता है.

वहीं स्थानीय जितेंद्र कुमार पांडेय ने बताया कि हमेशा हरा मगही पान खिलाते हैं. 10 रुपए के पान में सारा सामग्री भी बहुत अच्छा होता है. उन्होंने बताया कि गुड्डू चौरसिया खानदानी पनेरी हैं. इनके पूर्वज भी पान खिलाते थे. यही वजह है कि पिछले 30 वर्षों से यहीं पान खा रहे हैं.

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