इस कलाकार में है अनोखा हुनर,लोगों को सामने बैठा बना देता है हूबहू मूर्ति

संजय यादव/बाराबंकी.ये जरूरी नहीं कि आप जो काम करते हों उसी में माहिर हों, कई बार आपका शौक आपको नई पहचान दिला सकता है. मूर्ति कला शिल्प की एक प्राचीन विधा है. जिस विधा को हासिल करने के लिए मूर्ति कला का डिप्लोमा कोर्स या फिर 12वी उत्तीर्ण करने के बाद बैचलर ऑफ़ फाइन आर्टकी डिग्री के बाद भी मास्टर डिग्री लोग करके एक्पर्ट बनते है. लेकिन यूपी के बाराबंकी जिले के दीपक उर्फ दीपू कश्यप मात्र 8वी पास हैं लेकिन मूर्ति कला की इस विधा में माहिर है. इनकी इस कला को लोग खूब पसंद भी करते है.

बाराबंकी के त्रिवेदीगंज ब्लॉक के अंतर्गत आने वाले शिवनाम गाँव के निवासी दीपक उर्फ दीपू कश्यप मात्र आठवीं पास है.  इसके बावजूद भी वो मूर्ति कला में माहिर है. दीपक उर्फ दीपू कश्यप हैं. जिन्होंने मूर्ति कला में कोई डिग्री तो हासिल नहीं की लेकिन एक बार कोई चीज देख लेते है तो उसकी हमशक्ल जरूर बना देते है. पूर्व में इन्होंने कई तरह की मूर्तियों को भी तैयार किया है.

विलक्षण प्रतिभा देखकर सभी दंग
बाराबंकी जिले के हैदरगढ़ तहसील अंतर्गत त्रिवेदीगंज ब्लॉक के ग्राम पंचायत शिवनाम गांव के रहने वाले दीपू उर्फ दीपक रोजी रोटी के लिए वैसे दूसरे कार्य करते है लेकिन जब कभी इन्हें मौका मिलता तो यह अपनी कला जरूर दिखाते है. वैसे तो मूर्ति कला का ज्ञान होने पर आप सरकारी और निजी स्कूल में क्राफ्ट टीचर के रूप में काम कर सकते है. आजकल सीमेंट -क्रंकीट, सफेद तांबा, प्लास्टर ऑफ़ पेरिस की मूर्तियां बनाई जाती हैं. देश ही नही विदेशो में भी मूर्तिकारों के लिए रोजगार के असीमित अवसर उपलब्ध है. लेकिन बिना डिग्री के अपनी कला को निखारने का काम जो दीपू ने किया है वह वाकई में काबिले तारीफ है.

बचपन से था मूर्ति बनाने का शौक
दीपू ने बताया मूर्ति बनाना मेरा बचपन से शौक था न तो हमने कहीं से सीखी ना तो किसी ने हमें सिखाया. अगर कोई मूर्ति बना रहा होता था उसे हम देखते उसके बाद अपने घर पर आकर मिट्टी तैयार करके उसी तरह मूर्ति बनाने का प्रयास करते थे फिर धीरे-धीरे उसी तरह मिट्टी की मूर्ति बनाने लगे. जिसे आज भी हम किसी चीज को देख लेते हैं तो वैसे ही मूर्ति हम बना देते हैं.

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FIRST PUBLISHED : September 04, 2023, 16:53 IST

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